कलयुग में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा है मोक्ष को प्राप्त करने का सर्व श्रेष्ठ मार्ग: आचार्य योगेश
प्रतापगढ़, 26 नवम्बर (हि. स.)।प्रतापगढ़ जिले में रानीगंज कैथोला के पास वकियन का पुरवा रोहड़ा गांव में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक आचार्य योगेश त्रिपाठी जी महाराज श्री करपात्री धाम के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन रविवार को सुदामा चरित्र, राजा परीक्षित मोक्ष, द्धारिका लीला, यदुवंश को श्राप, शुकदेव जीे की विदाई आदि के सुंदर प्रसंग बताने के साथ भागवत कथा का विश्राम हो गया।
संगीतमय कथा का वर्णन सुनकर भक्त भाव विभोर होकर झूमने लगे। वहीं सुदामा चरित्र की कथा में भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनकर कथा स्थल में उपस्थित श्रद्धालु भावुक हो गए। महाराज श्री ने श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाकर श्रद्धालु को मंत्रमुग्ध किया। भगवान कृष्ण-सुदामा को अपने साथ रथ पर बैठाकर महल के अंदर लेकर पहुंचे और मित्र को सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठ गए। भगवान श्रीकृष्ण को नीचे बैठा देखकर उनकी रानियां भी दंग रह गई, कि कौन है जिन्हें भगवान सिंहासन पर बैठाकर खुद नीचे बैठे हैं। भगवान कृष्ण ने आंसुओं से मित्र के पैर धोए और पैर से कांटे निकाले।
राजा परीक्षित के मोक्ष के प्रसंग का बखान करते हुए कथा वाचक ने कहा कि मोक्ष की कामना प्रत्येक मनुष्य करता है, लेकिन सभी को सही राह नहीं मिलती है। भागवत महापुराण कथा एक ऐसा मार्ग है जो प्रत्येक को मोक्ष की ओर ले जाती है। राजा परीक्षित को मिले श्राप से हुई मृत्यु के बाद भी कथा सुनने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसलिए कलयुग में मोक्ष की कामना करते है तो श्रीमद् भागवत महापुराण कथा से श्रेष्ठ मार्ग कोई नहीं है। राजा परीक्षित ने सात दिन तक मन से कथा श्रवण किया। परीक्षित को ऋषि के श्राप के कारण तक्षक नाग ने काटा और उनके जीवन का अंत हो गया। कथा के प्रभाव से उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ और नाम अजर-अमर हो गया।
कथा के अंतिम दिन आचार्य योगेश त्रिपाठी जी महाराज ने सुदामा चरित्र का प्रसंग श्रद्धालुओं को सुनाया। सुदामा चरित्र का वर्णन सुनकर श्रद्धालु भावुक हो उठे। कथा सुनाते वक्त महाराज ने बताया कि कभी भी मित्र के साथ धोखा नही करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि भागवत कथा ही ऐसी कथा है, जिसके श्रवण मात्र से ही मनुष्य मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। भगवान कृष्ण के सामान कोई सहनशील नहीं है। क्रोध हमेशा मनुष्य के लिए कष्टकारी होता है। इसके साथ कथा के अंतिम दिन श्री कृष्ण लीला में श्री कृष्ण का जन्म, बाल कथा, मधुवन में गोपियों के साथ रास-लीला व सुदामा मिलन एवं ब्रज की फूलो की होली का मनोरम आयोजन के उसके बाद कंस वध आदि गाथाओ का वर्णन हुआ। कथा में मन-मुग्ध होकर महिला मंडल ने नृत्य भी किया। कथा में श्री कृष्ण की आरती के साथ कथा को विश्राम किया गया।विश्राम के पहले राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी कथा में पहुंचे ओर महाराज का आर्शीवाद प्राप्त किया।
कथा का सांयोजन मुख्य यजमान- गंगा प्रसाद पाण्डेय और उर्मिला पाण्डेय ने किया।लालजी तिवारी, लल्लू राम पाण्डेय ,गायत्री प्रसाद तिवारी, पप्पू तिवारी ,ज्ञानपाल तिवारी ,केशव दत्त पाण्डेय ,रामचंद्र तिवारी, लालजी केसरवानी ,अतुल शुक्ला सहित सैंकड़ों की संख्या में भक्त मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/दीपेन्द्र
/बृजनंदन
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