स्वाधीनता आन्दोलन में 'स्व' प्रेरणा के केन्द्र रहे श्रीराम : प्रफुल्ल केतकर

स्वाधीनता आन्दोलन में 'स्व' प्रेरणा के केन्द्र रहे श्रीराम : प्रफुल्ल केतकर
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स्वाधीनता आन्दोलन में 'स्व' प्रेरणा के केन्द्र रहे श्रीराम : प्रफुल्ल केतकर


ग्रेटर नोएडा,17 दिसम्बर (हि.स.)। भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन में 'स्व' प्रेरणा के केन्द्र में भगवान श्रीराम ही रहे, जिसका आश्रय महात्मा गांधी ने भी राष्ट्रीय आंदोलन में लिया। अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण स्व के आधार पर आत्मबोध एवं आत्मविश्वास के भाव का ही प्रकटीकरण है।

यह बातें ऑर्गनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने प्रेरणा मीडिया विमर्श-2023 में मीडिया लेखन में विमर्श निर्माण विषय पर कही। प्रेरणा मीडिया विमर्श का आयोजन प्रेरणा शोध संस्थान न्यास एवं मीडिया अध्ययन विभाग गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है।

प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि भारत के 'स्व' बोध का विस्तार है अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण। इसलिए भारत शोध नहीं बोध का विषय है। यह बोध श्रीराम से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि स्वधर्म, स्वदेश, स्वभाषा और स्वराज का पुनः प्राप्त करना 'स्व' का आधार या प्रेरणा रही है।

दूसरे सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार हर्षवर्धन त्रिपाठी ने कहा कि जब वर्षों से हमारी मानसिकता एक निश्चित पॉइंट पर हो तो अपने एजेंडा में वही स्थापित करती है।

हिंदुस्तान डिजिटल मीडिया प्रमुख प्रभात झा ने कहा कि आज न्यूज़ रूम और समाज में लोकतंत्र मजबूत हुआ है। आज के दौर में डिजिटल मीडिया का बेनिफिट यह है कि अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाकर एक विमर्श को मजबूती प्रदान करता है।

वहीं कार्यक्रम में प्रसिद्ध यू-ट्यूबर अजीत भारती ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज करायी। कार्यक्रम के तीसरे सत्र की वक्ता जानी मानी टीवी पत्रकार रूबिका लियाकत ने सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मैं निष्पक्ष नहीं हूं, भारत मेरा पक्ष है। हमारा देश स्वर्ग है क्योंकि यहां चार ऋतुएं हैं, पहाड़ है, रेगिस्तान है, विविधता है, इसलिए हमने कभी किसी देश पर आक्रमण नहीं किया।

वहीं दूसरे वक्ता के रूप में प्रोफेसर कुमुद शर्मा ने कहा कि अंग्रेजों ने सांस्कृतिक विश्वास को तोड़कर ही अपने लक्ष्य पूरे किए हैं। इसका आधार भारत का अपना 'स्व' रहा। सत्र के दौरान वरिष्ठ पत्रकार देवांशु झा ने कहा कि संपूर्ण विश्व की सभ्यता पर नजर डालें तो स्त्रियों की आजादी जैसी भारतीय संस्कृति में हैं,वैसी कहीं नहीं मिली।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/राजेश

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