भागवत एवं रामायण से संस्कारों का सृजन : प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी
--सामाजिक न्याय एवं क्रांति के प्रतीक हैं श्रीकृष्ण : डॉ अनिरुद्ध महाराज
प्रयागराज, 07 जनवरी (हि.स.)। भारत सनातन संस्कृति का केंद्र बिंदु है। भागवत एवं रामायण संस्कारों का सृजन करता है। इसलिए भागवत रामायण की पूजा के साथ इसका अध्ययन अवश्य करें।
उक्त विचार कथा के मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने मंगलवार को व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि भारत कोई भूखंड का हिस्सा नहीं है। इसलिए हमें मिलकर इसकी रक्षा करनी चाहिए और इसकी रक्षा का आधार है हमारा परिवार है। भागवत और रामायण परिवार को संस्कारवान बनाने का काम करती है।
श्री दिव्य अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन एवं दिव्य श्री राधा सखी मंडल प्रयागराज द्वारा आयोजित मुंशी राम प्रसाद की बगिया मुट्ठीगंज में श्री मद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर प्रखर राष्ट्र चिंतक डॉक्टर अनिरुद्ध महाराज ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण सामाजिक न्याय एवं क्रांति के प्रतीक हैं। उन्होंने इंद्र का अहंकार तोड़कर न्याय की व्यवस्था की और पर्वतराज गिरिराज को उनका अधिकार दिया।
इस अवसर पर नंदोत्सव धूमधाम साथ मनाया गया और भगवान गिरिराज की झांकी की प्रस्तुति हुई। प्रो गिरीश चंद्र त्रिपाठी, जय शिवसेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओंकार नाथ त्रिपाठी, पूर्व पार्षद विजय वैश्य, राजेश सोनकर, दुर्गेश नंदिनी ने आरती किया। कथा का संचालन राजेश केसरवानी ने किया। कथा के मुख्य आरती में कुमार नारायण, राजेश केसरवानी, प्यारे लाल जायसवाल, अभिलाष केसरवानी, कमलेश केशरवानी, सीता जायसवाल, उषा केसरवानी, कुसुम केसरवानी, प्रीति गुप्ता, शत्रुघ्न जायसवाल आदि सैकड़ो भक्तगण उपस्थित रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र