शिवाजी महाराज लोगों के दिलों में बसते हैं: प्रो. जाकिर पठान
वाराणसी,09 जून (हि.स.)। महाराष्ट्र जालना के आर्ट्स साइंस कॉलेज के प्रिंसिपल एवं इतिहासकार प्रो. जाकिर पठान ने कहा कि महाराष्ट्र की भूमि शूरवीरों को पैदा करती है। शिवाजी महाराज लोगों के दिलों में बसते हैं। शिवाजी महाराज भारत के इतिहास में विजय के लिये नहीं बल्कि सम्मान एवं स्वाभिमान के लिये जाने जाते हैं। प्रो. जाकिर पठान सोमवार को यहां लमही स्थित सुभाष भवन में छत्रपति शिवाजी महाराज के राजनैतिक आदर्श विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे।
विशाल भारत संस्थान एवं सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी में प्रो. पठान ने शिवाजी महाराज के व्यक्तित्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज का राजनीतिक दृष्टिकोण समभाव की विचारधारा पर आधारित था । जिसमें सभी जाति एवं धर्मों का सम्मान था। शिवाजी की महानता के विषय में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से एक बार एडोल्फ़ हिटलर ने कहा था आप अपने देश के लोगों से शिवाजी के बारे में बताएं वे स्वयं युद्ध में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह कर देंगे।
गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि प्रो. पी०डी० जगताप ने कहा कि शिवाजी महाराज सिर्फ मराठों के, सिर्फ महाराष्ट्र के, सिर्फ हिन्दुओं के, सिर्फ भारत के ही नहीं बल्कि पूरी दुनियाँ के देश भक्ति के प्रेरणा के श्रोत हैं। शिवाजी महाराज सिर्फ महाराष्ट्र के ही नहीं बल्कि भारत के कोने-कोने रह रहे लोगों के प्रतीक हैं। गोष्ठी के पहले सत्र में नेताजी सुभाष चन्द्र बोस रिसर्च सेंटर की निदेशक आभा भारतवंशी ने विषय को रखा। उन्होंने बताया कि शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना कर मुगलों को चुनौती दी और उनकी अधीनता स्वीकार नहीं किया।
गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो.बिन्दा परांजपे ने कहा कि शिवाजी महाराज मुगल सत्ता के खिलाफ स्वदेशी आन्दोलन के मुख्य प्रेरणा श्रोत रहे हैं। आजादी के आन्दोलन के समय बाल गंगाधर तिलक, वीर सावरकर जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणा श्रोत शिवाजी महाराज रहे हैं। स्वागत भाषण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजीव ने दिया। गोष्ठी के पहले भारत माता की प्रार्थना और अतिथियों को बाल आजाद हिन्द बटालियन की सलामी सेनापति दक्षिता भारतवंशी के नेतृत्व में दी गयी। गोष्ठी में डॉ. कवीन्द्र नारायण, डॉ. अर्चना भारतवंशी, डॉ. नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, ज्ञान प्रकाश, अनिल पाण्डेय, नौशाद अहमद, अजीत सिंह टीका, डॉ मुकेश श्रीवास्तव, गोविन्द श्रीवास्तव आदि भी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी

