मात्र एक लोटा जल से प्रसन्न होते हैं शिव : स्वामी नारायणानंद

मात्र एक लोटा जल से प्रसन्न होते हैं शिव : स्वामी नारायणानंद
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मात्र एक लोटा जल से प्रसन्न होते हैं शिव : स्वामी नारायणानंद


मात्र एक लोटा जल से प्रसन्न होते हैं शिव : स्वामी नारायणानंद


मीरजापुर, 28 फरवरी (हि.स.)। रायपुर पोख्ता में चल रही राम कथा में बुधवार को स्वामी नारायणानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि भगवान शिव ही एकमात्र ऐसे देवता जो अतिशीघ्र प्रसन्न होते है। भगवान विष्णु आभूषण, भगवतीे स्तुतियों से जबकि शिव जल के एक लोटे से प्रसन्न हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, तब धर्म की रक्षा के लिए भगवान प्रकट होते हैं। अपनी लीला से सभी बाधाओं को दूर कर परमानंद प्रदान करते हैं। परमानंद की प्राप्ति के बाद मानव जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है। आशा को पूरा करने के लिए ईश्वरवादी होना जरूरी है। भागवत कथाओं में जीवन जीने के लिए जरूरी बातों का समावेश है। मानवता की राह पर चलकर व्यक्ति जीवन में अपेक्षित सफलता को आसानी से प्राप्त कर सकता है।

भगवान श्रीराम का जीवन चरित्र ही धर्म है। भगवान राम अपने गुरु, पिता, भाई, संत, अनुचर, सहचर से कैसे व्यवहार करते हैं। धर्म को समझना हो तो उनके आदर्श को अपना लें, तो धर्म का पालन हो जाएगा। क्योंकि धर्म के सारे लक्षण भगवान के चरित्र में समाहित हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/गिरजा शंकर/डॉ. कुलदीप

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