शरियत ने महिलाओं पर मस्जिद में जाने के लिए नहीं लगाई पाबंदी

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शरियत ने महिलाओं पर मस्जिद में जाने के लिए नहीं लगाई पाबंदी


बरेली, 31 जुलाई (हि.स.)। तेलंगाना हाईकोर्ट के दिए गए मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में प्रवेश और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कुछ मदरसों को बंद किए जाने पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा कि शरियत ने मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में नमाज पढ़ने के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। तेलंगाना हाईकोर्ट का फैसला अपनी जगह बिल्कुल दुरुस्त है।

पैग़म्बरे इस्लाम के जमाने में महिलाएं मस्जिद में आकर नमाज पड़ती थी, पैग़म्बरे इस्लाम के जानशीन (उत्तराधिकारी) हजरत उमर फारुख जब इस्लामी हुकूमत के प्रमुख बने, तो उनके ज़माने में बहुत सारी शिकायते आने लगी और बुराईयां बढ़ने लगी, तब इन हालात के पेशे नज़र हजरत उमर फारुख ने विचार विमर्श करके ये फैसला दिया कि महिलाएं अपने घरों में ही नमाज पढ़े, उनको घरों में नमाज पढ़ने का उतना ही सवाब मिलेगा, जितना मस्जिद में नमाज पढ़ने से मिलता है। उसके बाद महिलाएं अपने घरों में ही नमाज पढ़ने लगी, यही परम्परा उस वक्त से लेकर अब तक चली आ रही है। हजरते उमर फारूख के फैसले की मंशा फितना व फसाद को खत्म करना था, जिसमें कामयाबी मिली।

मौलाना ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद करना चाहती है, अगर इन हजारों मदरसों को बंद किया गया तो लाखों बच्चे प्रभावित होंगे, संविधान ने अल्पसंख्यकों को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने और शिक्षक संस्थान खोलने, उसके संचालन की इजाजत दी है। अगर इन मदरसों को बंद किया जाता है तो संविधान का खुल्लम खुल्ला उल्लघंन होगा, इसलिए इन मदरसों को मान्यता देने की व्यवस्था राज्य सरकार करें, इससे अल्पसंख्यक समुदाय का भरोसा दिया जा सकता है।

हिन्दुस्थान समाचार / देश दीपक गंगवार / शरद चंद्र बाजपेयी / राजेश

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