मां विंध्यवासिनी की चौखट पर शंकराचार्य विजयेंद्र सरस्वती ने नवाया शीश
मीरजापुर, 16 नवम्बर (हि.स.)। कांची कामकोटि पीठ के पीठाधीश्वर शंकराचार्य जगद्गुरु शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने गुरुवार को विंध्यधाम पहुंचकर मां विंध्यवासिनी की चौखट पर शीश नवाया। साथ ही देश के तरक्की व खुशहाली की कामना की। इसके उपरांत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट निर्माणाधीन विंध्य कॉरिडोर की स्वर्णिम आभा देख खुशी जताई। कहा कि गुलाबी पत्थरों से सुशोभित व आकर्षक विद्युत झालरों से आलोकित विंध्य कॉरिडोर मां विंध्यवासिनी की महिमा का अहसास कराएगा ही, आस्था की डगर पर श्रद्धालुओं की राह भी सुगम होगी।
विंध्याचल धाम पहुंचे कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि ललिता सहस्रनाम में विंध्याचल निवासिनी, विधात्री, वेद जननी का उल्लेख है। उन्होंने बताया कि काफी दिनों से मां के दर्शन का संकल्प था, जो आज पूरा हुआ। जगद्गुरु ने बताया कि वाराणसी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान धार्मिक स्थलों के विस्तार को लेकर चर्चा हुई थी। कहा कि धार्मिक स्थलों का विकास अपने संस्कृति का विकास है, संस्कृति का विकास मानवता का विकास है और मानवता का विकास अपने धर्म का विकास है।
कांची कामकोटि पीठ वेद पाठशाला के छात्र सनातन धर्म के प्रति जगा रहे रूचि
जगद्गुरु ने कहा कि कांची कामकोटि पीठ वेद पाठशाला से जो भी छात्र पढ़े हैं, आज वह अध्यापक हैं। उनमें से एक छात्र विंध्याचल का है जिसका नाम अगस्त्य द्विवेदी है, जो वर्तमान में पटेंगरा स्थित बड़ा बगीचा में आश्रम संचालित कर विद्यार्थियों को निःशुल्क दीक्षा देकर सनातन धर्म के प्रति रुचि जगा रहे हैं।
पुष्प वर्षा व मंत्रोच्चारण कर शंकराचार्य का स्वागत
शंकराचार्य जगद्गुरु शंकर विजयेंद्र सरस्वती के विंध्याचल आगमन पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया गया। साथ ही वेद पाठशाला के 51 बालकों ने मंत्रोच्चारण कर जगद्गुरु का अभिवादन किया। मां विंध्यवासिनी दर्शन-पूजन करने के बाद वे विंध्य पर्वत पर विराजमान मां काली व अष्टभुजा माता का भी दर्शन किया।
हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/बृजनंदन
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