गोरक्षनाथ शोधपीठ में हुआ सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला का शुभारम्भ

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गोरक्षनाथ शोधपीठ में हुआ सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला का शुभारम्भ


गोरखपुर, 09 दिसम्बर (हि.स.)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय स्थित महायोगी गुरु श्रीगोरक्षनाथ शोधपीठ द्वारा कुलपति प्रो. पूनम टण्डन के संरक्षण में आज सप्तदिवसीय शीतकालीन योग कार्यशाला विषय योग एवं नाथपंथ का शुभारम्भ किया गया। यह कार्यशाला 15 दिसम्बर तक चलेगी। कार्यक्रम का शुभारम्भ शोधपीठ के उप निदेशक डॉ. कुशलनाथ मिश्र द्वारा गुरु गोरखनाथ के चित्र पर पुष्पार्चन कर किया गया। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. ऋषिका वर्मा, सहायक आचार्य, दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर, उत्तराखंड रहीं।

कार्यशाला में सबसे पहले सुबह 8;30 बजे योग प्रशिक्षण का कार्यक्रम किया गया। प्रशिक्षक डॉ. विनय कुमार मल्ल द्वारा योग का प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने विभिन्न योगासनों, सूर्य नमस्कार, ताड़ासन, सिंहासन, पद्मासन, उत्तानपादासन आदि एवं प्राणायाम का प्रशिक्षण दिया। योग प्रशिक्षण में लगभग एक दर्जन से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इसके उपरांत 11 बजे ऑनलाइन माध्यम से योग विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. ऋषिका वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि योग के नियमित अभ्यास से शारीरिक बीमारी में कमी आती है। उन्होंने अष्टांग योग को उद्धृत करते हुए कहा कि ध्यान योग का एक महत्त्वपूर्ण अंग है जो योग की गहराइयों में उतारता है। जब व्यक्ति योग के नियमों को साधता है तो उसका जीवन संतुलित हो जाता है। यह मानसिक शांति प्रदान करता है। योग से शारीरिक स्वास्थ्य के साथ नैतिक एवं आध्यात्मिक उन्नयन होता है। उन्होंने योग के विभिन्न प्रकारों कर्म, ज्ञान, राज, भक्ति, हठ, मंत्र आदि का विस्तृत विवरण दिया।

गोरक्षनाथ शोधपीठ के रिसर्च एसोसिएट डॉ. सुनील कुमार द्वारा इस कार्यक्रम का संचालन एवं सहायक निदेशक डॉ. सोनल सिंह द्वारा मुख्य वक्ता सहित समस्त प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस कार्यशाला में सहायक ग्रन्थालयी डॉ. मनोज कुमार द्विवेदी, शोध अध्येता डॉ. हर्षवर्धन सिंह, चिन्मयानन्द मल्ल समेत अनेक शिक्षक एवं प्रतिभागी जुड़े रहे।

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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय

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