गाजियाबाद की डासना जेल में एड्स के सात रोगी मिले, एक महिला भी शामिल
- स्वास्थ विभाग की स्क्रीनिंग में हेपेटाइटिस-सी के 49 और हेपेटाइटिस-बी के 18 रोगी मिले
- सात दिन में 4050 बंदियों की हुई स्क्रीनिंग, एक बंदी एसटीडी पीड़ित भी मिला
गाजियाबाद,16 दिसम्बर (हि.स.)। जिले की डसना जेल में सात कैदियों को एचआईवी पॉजिटिव मिले हैं। इससे जेल प्रशासन के साथ-साथ स्वास्थ्य महकमे में हड़कम्प मच गया। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसाइटी के निर्देश पर डासना जेल में स्वास्थ्य विभाग में स्क्रीनिंग कराई थी। इसमें हेपेटाइटिस के 49 और हेपेटाइटिस बी के 18 रोग भी मिले हैं। सभी का उपचार शुरू कर दिया गया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डा. भवतोष शंखधर ने शनिवार को बताया कि उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण सोसायटी के निर्देश पर आठ से 14 दिसम्बर तक स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला कारागार, डासना में स्क्रीनिंग कैंप का आयोजन किया गया। सात दिवसीय स्क्रीनिंग कैंप के दौरान कुल 4308 जेल बंदियों में से 4050 की स्क्रीनिंग हुई। स्क्रीनिंग के दौरान जिला कारागार में एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज), एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस), टीबी (क्षय रोग) तथा हेपेटाइटिस की जांच की गई।
जांच के दौरान सात जेल बंदी एचआईवी (एड्स) पॉजिटिव मिले। इनमें एक महिला बंदी भी शामिल है। सबसे अधिक हेपेटाइटिस-सी के 49 और हेपेटाइटिस -सी के 18 रोगी मिले। एक जेल बंदी एसटीडी पीड़ित भी मिला।
जिला क्षय रोग अधिकारी (डीटीओ) डा. अमित विक्रम ने बताया कि जिला कारागार में लगाए गए सात दिवसीय जांच शिविर में स्वास्थ्य विभाग की ओर से काउंसलर बिहारी ठाकुर, राहुल वर्मा, रेणु यादव और सुमन चौधरी के अलावा लैब टेक्नीशियन जयकेश यादव, नवाब, ललित चौधरी और अवनीश की डयूटी लगाई गई थी। इस दौरान जेल बंदियों की स्क्रीनिंग और जांच के साथ ही जरूरत के हिसाब से काउंसलिंग और उपचार भी प्रदान किया गया। इस दौरान एचआईवी, टीबी, हेपेटाइटिस और एसटीडी से बचाव के बारे में जेल बंदियों को जागरूक किया गया। उन्होंने बताया कि एचआईवी रोगी को छूने, साथ उठने -बैठने और खाने -पीने से यह रोग नहीं फैलता। इस रोग का संचार शरीर से निकलने वाले दृव्य या रक्त के संपर्क में आने से, असुरक्षित यौन संबंधों से, संक्रमित द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुई (निडिल) या ब्लेड आदि से हो सकता है
डीटीओ ने बताया कि जिन बंदियों का उपचार शुरू किया गया है, उन्हें नियमित रूप से दवाओं का सेवन करने और जेल से रिहा होने के बाद सरकारी चिकित्सालय के माध्यम से उपचार जारी रखने के लिए प्रेरित किया गया है। जेल बंदियों को बताया कि दो हफ्ते या उससे अधिक समय तक खांसी, खांसी के साथ बलगम में खून आना, रात में पसीना आना, भूख न लगना और वजन कम होना आदि टीबी के लक्षण हैं। इस तरह के लक्षण नजर आने पर तुरंत जांच करानी चाहिए।
एसटीडी कि एक यौन संचारित संक्रमण है, यह बैक्टीरिया ट्रेपोनिमा पैलिडम के कारण होता है। शुरुआत में संक्रमण वाले स्थान पर दर्द रहित घाव होता है, दूसरे चरण में दाने, बुखार, थकान, सिरदर्द और भूख में कमी की शिकायत होती है। सीरोलॉजिकल परीक्षण के जरिए इस रोग की जांच की जाती है। हेपेटाइटिस में लिवर में सूजन आ जाती है और रोगी को पीलिया हो जाता है। इसके लक्षणों में पेशाब का रंग बदलना, बहुत अधिक थकान, उल्टी या जी मिचलाना, पेट में दर्द और सूजन, खुजली, भूख न लगना और अचानक वजन कम होना आदि शामिल हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली/दीपक/मोहित
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