भगवान श्री राम का संदेश समरसता का : डॉ आरबी लाल श्रीवास्तव

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भगवान श्री राम का संदेश समरसता का : डॉ आरबी लाल श्रीवास्तव


- आदर्श गुणों के कारण दिलों में समाए प्रभु श्रीराम : प्रो. सीमा सिंह

- राष्ट्रनायक श्रीराम पर मुक्त विवि में संगोष्ठी एवं सुंदरकाण्ड

प्रयागराज, 16 जनवरी (हि.स.)। भगवान श्री राम का संदेश समरसता का संदेश है। सामाजिक समरसता, आत्म विश्लेषण एवं व्यवहार परिवर्तन का विषय है। भगवान राम त्याग की प्रतिमूर्ति हैं। हमें श्रीराम के पदचिन्हों पर चलकर फैसले लेने पड़ेंगे। अपने जीवन से मोह और लालच को छोड़ना पड़ेगा।

उक्त विचार मुख्य वक्ता सीएमपी डिग्री कॉलेज के डॉ आर बी लाल श्रीवास्तव ने उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में मंगलवार को गंगा परिसर में हनुमान मंदिर के समीप सामाजिक समरसता और राष्ट्र नायक श्री राम विषय पर आयोजित संगोष्ठी में व्यक्त किया।

मुख्य अतिथि ने आगे कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन को लेकर पूरे देश में जश्न का माहौल है। राम और राष्ट्र आज पर्यायवाची हो चुके हैं। भगवान राम में पूरे समाज का विश्वास है। राम का जीवन धर्म आधारित जीवन था जो उन्होंने कर्तव्य के अनुरूप जिया। हमें हर व्यक्ति के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए यह श्री राम के जीवन से सीखने को मिलता है।

अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सीमा सिंह ने कहा कि श्री राम प्रकृति के साथ भी समरस थे। वन में निवास करते हुए 14 वर्ष तक प्रकृति की गोद में रहे। जहां पशु, पक्षी, वनस्पति आदि से उनके साक्षात्कार होते रहते थे। उन्होंने सत्य, दया, करुणा, धर्म और मर्यादा के मार्ग का अनुसरण करते हुए संसार के सामने विनम्रता, धैर्य, मर्यादा और पराक्रम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया। कुलपति ने कहा कि भगवान श्री राम अपने आदर्श गुणों की वजह से जनमानस के दिलों में समाए हुए हैं। उन्होंने समाज को सशक्त बनाने के लिए उच्च स्तर की नैतिकता का अनुसरण किया। श्रीराम के जीवन का अनुसरण हमें सच्ची मानवता के मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है।

मानविकी विद्या शाखा के निदेशक प्रो. सत्यपाल तिवारी ने कहा कि श्री राम ने लोक मंगल की अवधारणा तैयार की। श्री राम का व्यक्तित्व अलौकिक है। सामाजिक समरसता उनके जीवन दर्शन में परिलक्षित होती है। प्रारम्भ में व्यावसायिक अध्ययन विद्या शाखा के प्रभारी प्रो. छत्रसाल सिंह ने संगोष्ठी के रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ बाल गोविंद सिंह तथा कुलसचिव कर्नल विनय कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसके उपरांत गंगा परिसर स्थित हनुमान मंदिर में सुंदरकांड का पाठ किया गया, तत्पश्चात समरसता भोज का आयोजन किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/मोहित

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