कर्मों में कुशलता ही योग है : अशोक पाठक

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कर्मों में कुशलता ही योग है : अशोक पाठक


--बच्चों का चारित्रिक विकास जरूरी : हनुमान प्रसाद उपाध्याय

--गीता ज्ञान से राष्ट्र निर्माण पर हुई संगोष्ठी

प्रयागराज, 25 जुलाई (हि.स.)। सनातन एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक कुमार पाठक ने ‘‘गीता ज्ञान से राष्ट्र निर्माण“ विषय पर गीता के कर्म योग सिद्धान्त से बच्चों को सचेत करते हुए राष्ट्र निर्माण के लिए उनके चारित्रिक, बौद्धिक और सर्वांगीण विकास पर जोर दिया। कहा कि ’’योग : कर्मसु कौशलम्’’ अर्थात् कर्मों में कुशलता ही योग है।

वृहस्पतिवार को सीएवी इण्टर कॉलेज में आयोजित व्याख्यान में अशोक पाठक ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि व्यावहारिक स्तर पर शरीर, मन और भावनाओं में संतुलन और सामंजस्य स्थापित करते हुए अपने कार्य को अति कुशलता के साथ करना ही योग है। इस प्रकार से सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त होने के साथ राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना से श्रेष्ठ राष्ट्र का निर्माण होता है। यह भारतीय ज्ञान हजारों वर्ष पुराना है।

इस अवसर पर कालेज के प्रबंधक हनुमान प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि बच्चों को अपने चारित्रिक विकास और आदतें सुधारने पर तथा अध्यापकों द्वारा दी गई शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए। प्रधानाध्यापक केके प्रसाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर कुछ विद्यार्थियों को गीता भी भेंट की गई। उल्लेखनीय है कि, अशोक कुमार पाठक ने गीता ज्ञान से राष्ट्र निर्माण विषय पर दर्जन भर विद्यालयों में हजारों बच्चों को जानकारियां दें चुके हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / बृजनंदन यादव

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