गणेश शंकर विद्यार्थी का लेखन अपने आप में ही महान : देवेन्द्र प्रताप सिंह
प्रयागराज, 25 जून (हि.स.)। निर्धनों, किसानों व मजदूरों की समस्याओं को उजागर करने तथा सामाजिक जड़ताओं, अंध परम्पराओं एवं कुरीतियों के विरुद्ध सामाजिक जागृति का उद्देश्य लिए पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का लेखन अपने आप में ही महान है। उक्त विचार हिन्दुस्तानी एकेडमी उप्र, प्रयागराज के सचिव देवेन्द्र प्रताप सिंह ने मंगलवार की सायं गांधी सभागार हिन्दुस्तानी एकेडेमी में गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता पर केन्द्रित ‘राष्ट्रीय एकता के निर्माण में गणेश शंकर विद्यार्थी की पत्रकारिता’ विषयक संगोष्ठी में व्यक्त किया।
सचिव ने कहा कि साहित्य के माध्यम से राष्ट्रीयता की अलख जगाना वे बखूबी जानते थे। अहर्निश राष्ट्र सेवा को समर्पित एक ऐसा व्यक्ति जो स्वातंत्र्य समर, समाजसेवा, सामाजिक, राजनीतिक संगठन और पत्रकारिता में एक साथ सक्रिय रहा हो। इन सबके साथ जिसने कोर्ट-कचहरी और जेल-जीवन का भी सहर्ष वरण किया हो, यह विलक्षण प्रतिभा, अदम्य साहस और अटूट लगन को ही दर्शाता है।
वक्ता शिवशरण सिंह गहरवार, सचिव उप्र मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति लखनऊ ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी एक निर्भीक, निष्पक्ष, ईमानदार क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाले पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी थे। बढ़ते इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के युवा पत्रकारों को विद्यार्थी के जीवन का अनुकरण करते हुए आज की पत्रकारिता में अपना स्थान बनाने की आवश्यकता है। वक्ता डॉ. शिवा अवस्थी, उप मुख्य उप सम्पादक दैनिक जागरण कानपुर ने कहा कि स्वाधीनता और राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए उनका लेखकीय योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। उनका संस्मरण ‘जेल जीवन की झलक’ आज के प्रत्येक विद्यार्थी को अवश्य पढ़ना चाहिए।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम समन्वयक मीडिया अध्ययन केन्द्र डॉ. धनंजय चोपड़ा ने कहा कि विद्यार्थी ने इलाहाबाद की सरस्वती पत्रिका और स्वराज्य अखबार की विरासत को अपने समाचार पत्र प्रताप के माध्यम से बखूबी आगे बढ़ाया। विद्यार्थी सही मायनों में राष्ट्रवादी पत्रकारिता के अग्रदूत थे। उनके लिखे लेख और समाचार आने वाली पीढ़ियों के लिए पत्रकारिता के अनगिनत जरूरी अध्याय प्रस्तुत करते हैं। आचार्य श्रीकांत शास्त्री, वरिष्ठ पत्रकार एवं अध्यक्ष आल इण्डिया प्रेस रिपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी को हिन्दी पत्रकारिता का प्रमुख स्तम्भ माना जाता है। वे भारतीय इतिहास के एक संवेदनशील पत्रकार होने के साथ-साथ सच्चे देशभक्त, समाजसेवी स्वतंत्रता संग्राम के सक्रिय कार्यकर्ता भी थे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्रो.संजय द्विवेदी, पूर्व कुलपति माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एव संचार विश्वविद्यालय भोपाल ने कहा कि हिन्दी पत्रकारिता में गणेश शंकर विद्यार्थी भारतबोध के प्रखर प्रवक्ता की तरह सामने आते हैं। उनकी पत्रकारिता का सूत्र है राष्ट्र प्रथम। इन्हीं मूल्यों के लिए उन्होंने अपना जीवन भी बलिदान कर दिया। यह नगर उनकी पुण्यभूमि है।
कार्यक्रम का संचालन आलोक मालवीय एवं धन्यवाद ज्ञापन एकेडेमी के प्रशासनिक अधिकारी गोपालजी पाण्डेय ने किया। इस अवसर पर डॉ. वी.के सिंह, रविनंदन सिंह, डॉ. उषा मिश्रा, डॉ. अरुण त्रिपाठी, देवेन्द्र नाथ मिश्र, जयवर्धन त्रिपाठी, अजीत सिंह आदि के साथ अन्य रचनाकार एवं शोध छात्र भी उपस्थित थे।
हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/बृजनंदन
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