अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने की पक्षियों के व्यवहार पर चर्चा

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अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने की पक्षियों के व्यवहार पर चर्चा


अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने की पक्षियों के व्यवहार पर चर्चा


अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में वैज्ञानिकों ने की पक्षियों के व्यवहार पर चर्चा


मेरठ, 19 मार्च (हि.स.)। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के जंतु विज्ञान विभाग में चल रहे 13जी अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिवस मंगलवार को वैज्ञानिकों ने पक्षियों के व्यवहार के बारे में चर्चा। इसमें पक्षियों के प्रजनन और तनाव के बारे में जानकारी दी गई।

अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में कई वैज्ञानिकों ने अपनी बात रखी। अमेरिका के वायने ज कुएंजेल ने पक्षियों के प्रजनन एवं तनाव के न्यूरोइंडोकरीन रेगुलेशन में सेप्टल ब्रेन रीजन के महत्त्व के बारे में बताया। अमेरिका की पक्षी वैज्ञानिक फर्राहन मैडिसन ने बताया कि गोल्डियन फिंच नामक पक्षी में अलग-अलग करैक्टर जैसे आक्रामकता, माता-पिता की देखभाल, प्रतिरक्षा और तनाव प्रतिक्रियाएं के लिए हेड कलर पॉलीमॉरफिस्म देख़ने को मिलती है।

अमेरिका की डॉ. क्रिस्टीन आर लैटिन ने बताया कि नियोफोबिया (यानी, नवीनता के प्रति एक भयभीत प्रतिक्रिया) एक महत्वपूर्ण व्यवहार है। यह प्रभावित करता है कि जंगली पक्षी, पर्यावरण परिवर्तन पर किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं, जिसमें उनका खुद का पर्यावरण भी शामिल है जैसे मानव-परिवर्तित वातावरणों पर प्रतिक्रिया (शहरों और उपनगरों) में।

ऑस्ट्रेलिया के माइलिन एम मैरियेट ने कहा कि हमने जन्म पूर्व ध्वनियों के प्रभावों की उनके विकास पर जांच की, जिसमें दोनों प्राकृतिक संकेत और मानवजनित शोर शामिल है। उन्होंने वैश्विक परिवर्तन के लिए पक्षियों के अनुकूलन के बारे में भी बताया। जर्मनी के मिशेला हाऊ ने बताया कि ग्लुकोकोर्तिकोइड हार्मोन पर्यावरणीय तापमान में परिवर्तन को समायोजित करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

अमेरिका के जेनी ओयांग ने बताया कि शहरीकरण आवास परिवर्तन के सबसे प्रचलित रूपों में से एक है, जिससे स्थानीय पक्षियों के विलुप्त होने की प्रक्रिया के माध्यम से जैव विविधता का नुकसान होता है। वियना के वर्जिनी कैनोइन ने बताया कि यह जटिल जलवायु चुनौती अंडे में पेरेंटल हार्मोन टेस्टोस्टेरोन और कॉर्टिकोस्टेरोन के जमाव को प्रभावित करती है, जिसका कारण व्यवहार परिवर्तन देखा गया हो।

विक्टोरिया एम कॉउट्स ने बताया कि विकास संबंधी तनाव प्राप्त करने के बाद फिटनेस सूचकांकों और व्यक्तियों को मापने पर एचपीए अक्ष के महत्व पर प्रकाश डाला गया है। इस अवसर पर जंतु विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. बिंदु शर्मा, प्रो. एके चौबे, प्रो. संजय भारद्वाज, प्रो. नीलू जैन गुप्ता, डॉ. दुष्यंत चौहान, प्रो. विनोद कुमाद आदि उपस्थित रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/बृजनंदन

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