संतुलित सोच के लिए नियंत्रित जीवन जीना उत्तम संयम धर्म : समर्पण सागर
- श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की पूजा की गई
मुरादाबाद, 13 सितम्बर (हि.स.)। संतुलित सोच के लिए नियंत्रित जीवन जीना उत्तम संयम धर्म है। सयंम के द्वारा अपने जीवन को सफल बना सकता है। सयंम इस बात का भी होना चाहिए कि किसी दुसरे जीव को हमारे द्वारा कोई कष्ट न पहुंचे। छह प्रकार के जीवों की रक्षा करना भी उत्तम सयंम की श्रेणी में आता है, जिसे प्राणी सयंम कहते है। साथ ही पांच प्रकार की इन्द्रियों व मन को वश में करना भी इन्द्रिय सयंम कहलाता है। यह संदेश रामगंगा विहार स्थित श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर समर्पण भवन में विराजमान बालयोगी गिरनार पीठाधीश्वर क्षुल्लक रत्न 105 श्री समर्पण सागर ने शुक्रवार प्रातःकाल जैन श्रावकों को सम्बोधित करते हुए दिया।
श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की पूजा की गई। श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जिनेंद्र का मंगल जलाभिषेक किया गया एवं विश्व मंगल की कामना के साथ शान्तिधारा की गई। शान्तिधारा करने का परम सौभाग्य जैन समाज के लोगों को प्राप्त हुआ। इस धार्मिक सभा में जैन समाज के अनुयायियों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
व्यवस्थाओं में रामगंगा विहार जैन समाज के अध्यक्ष संदीप जैन, मंत्री नीरज जैन वरिष्ठ कार्यकर्ता सर्वोदय जैन, पवन कुमार जैन, अनुज जैन, अजय जैन, अंकुर जैन, राहुल जैन, विकास जैन, मोहित जैन, सुषमा जैन, उषा जैन, रजनी जैन, सजल जैन, ऋतु जैन, अंजलि जैन, शिवानी जैन, आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / निमित कुमार जयसवाल
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