संस्कृत भाषा हमारे पूर्वजों की विरासत है : डॉ शालिग्राम
प्रयागराज, 16 अगस्त (हि.स.)। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। हमारा सम्पूर्ण विज्ञान, ज्योतिष, सांख्य, योग, दर्शन, न्याय एवं आयुर्विज्ञान इसी संस्कृत पर टिका हुआ है। संस्कृत भाषा हमारे पूर्वजों की विरासत है। यह देववाणी है।
यह बातें ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज सिविल लाइंस में आज संस्कृत सप्ताह का शुभारम्भ करते हुए मुख्य अतिथि जीआईसी के संस्कृत प्रवक्ता डॉ. शालिग्राम ने सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने भैया-बहनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यदि हम इस भाषा का ठीक से ज्ञान प्राप्त नहीं किए तो हम इससे अछूते रह जाएंगे। उन्होंने कहा संस्कृत अत्यंत सरस, सरल एवं भाव बोधगम्य भाषा है जिसको हम सभी आसानी के साथ सीख सकते हैं। केवल मन बनाने की बात है। नई शिक्षानीति में भी संस्कृत शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। अतः इसको अक्षुण्ण बनाए रखने में हम सभी की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।
विद्यालय के प्रधानाचार्य विक्रम सिंह परिहार ने कहा कि संस्कृत के शब्दों के उच्चारण से शारीरिक योग भी होता है एवं हमारे मस्तिष्क तथा घर के वातावरण को शांतिप्रिय बनाने में इस भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। संस्कृत सप्ताह के प्रथम दिवस के अवसर पर संस्कृत नामावली की विभिन्न वस्तुओं की प्रदर्शनी भी आयोजित हुई। संस्कृत सप्ताह में पूरे सप्ताह भर प्रतिदिन संस्कृत प्रतियोगिताएं (गीता श्लोक, संस्कृत गीत, निबंध प्रतियोगिता) सम्पन्न होगी।
यह सम्पूर्ण कार्यक्रम संस्कृत विषय के प्रमुख सरोज दुबे के निर्देशन में हुआ। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में गणेश द्विवेदी, हरे कृष्ण त्रिपाठी, संतोष दुबे, रामानंद वैश्य, ब्रह्मानंद द्विवेदी, दीपक यादव सहित संस्कृत विषय के समस्त आचार्य बंधु एवं भैया-बहन उपस्थित रहे।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / दिलीप शुक्ला
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