छिड़ी कजरी की तान, घुला बरखा का रस
कुशीनगर, 12 अगस्त (हि.स.)। लोक विधा, साहित्य व संस्कृति के संरक्षण को समर्पित अखिल भारतीय संस्था
संस्कार भारती की कुशीनगर जिला ईकाई द्वारा आयोजित कजरी महोत्सव में कलाकारों ने जैसे ही कजरी की तान छेड़ी माहौल में बरखा का रस घुल गया। श्रोताओं ने भी देर रात तक मिली जुली मिठास का लुत्फ उठाया। लोक विधा की इस अमूल्य धरोहर को संजोए रखने पर चर्चा और आयोजन की सराहना की। लुप्त होती इस विधा के संरक्षण के लिए समन्वित प्रयास पर बल दिया गया।
रविवार को अमित मेमोरियल कालेज में आयोजित महोत्सव में कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से सभी का मन मोह लिया।
गायक धीरज राव के कजरी गीत ’चंदनिया पर चदरिया सवनवा आसमान उड़ेला.... सुनील मिश्रा के ’हरे रामा रिमझिम बरसे बदरिया भीजे राधा रनिया.... डा. सुमन मणि त्रिपाठी की प्रस्तुति छोटकी बगिया में फूल के बाहर बा......कृष्णानंद त्रिपाठी के ’गोरिया पीतल भलाई फगुनवा नहीं बीती सवनवा ना... के अतिरिक्त तन्नु गुप्ता,अर्चना श्रीवास्तव, रंजना मद्धेशिया, अभिषेक सिंह, मंटू पाठक, प्रीति शाह, सरिता मिश्रा, यथार्थ श्रीवास्तव की भी प्रस्तुतियां सराही गई। इसके पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गेश राय, पूर्व विधायक रजनीकांत त्रिपाठी, संस्कार भारती के अध्यक्ष डा.अनिल सिन्हा, उपाध्यक्ष त्रिभुवन तिवारी,नपा अध्यक्ष प्रतिनिधि राकेश जायसवाल, कालिंदी त्रिपाठी,पूर्व अध्यक्ष कृष्ण कुमार, उमेश चंद्र गुप्ता ने देवी सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
डा. चंद्रशेखर सिंह, सुरेश गुप्त,डा. ज्ञान प्रकाश राय, डा. अशोक कुमार सिंह, डा. गौरव त्रिपाठी ने कहा गीत–संगीत समाज को जड़ों और संस्कृति से जोड़े रखने में सशक्त भूमिका निभाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार / गोपाल गुप्ता / बृजनंदन यादव
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