श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान के संकीर्तन अवतारः चंचलापति दास

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श्री चैतन्य महाप्रभु भगवान के संकीर्तन अवतारः चंचलापति दास


- फूलों की होली, छप्पन भोग, हरिनाम संकीर्तन एवं महाभिषेक रहा आकर्षण का केन्द्र

- चंद्रोदय मंदिर में महाभिषेक के दर्शन के लिए उमड़ा जन सैलाब

मथुरा, 26 मार्च (हि.स.)। ब्रजमंडल की विश्व प्रसिद्ध होली महोत्सव के मध्य गौड़िया वैष्णव सम्प्रदाय के प्रवर्तक, श्रीधाम वृन्दावन के प्राकट्यकर्ता चैतन्य महाप्रभु के अवतरण दिवस के रूप में मनाया गया।

भक्ति वेदांत स्वामी मार्ग स्थित वृन्दावन चंद्रोदय मंदिर में गौरांग महाप्रभु की 539वीं जयंती पर मंदिर प्रांगण में फूल बंगला, छप्पन भोग, पालकी उत्सव, महाभिषेक, हरिनाम संकीर्तन एवं फूलों की होली का भव्य आयोजन किया गया।

चंद्रोदय मंदिर के अध्यक्ष चंचलापति दास ने मंगलवार को चैतन्य चरितामृत के श्लोक ‘‘पृथ्वी ते आछे जत, नगर आदि ग्राम। सर्वत्र प्रचार हइवेक, मोर गुण नाम।।’’ का भाव समझाते हुए कहा कि श्री चैतन्य महाप्रभु ने स्वयं कहा है कि पृथ्वी पर जितने भी नगर ग्राम आदि हैं सभी जगह मेरे नाम गुण का प्रचार होगा। उन्होंने भगवत गीता के श्लोक 10वें अध्याय में 10वां श्लोक का भाव समझाते हुए कहा कि भगवान भगवत गीता में कहते हैं कि जो प्रेमपूर्वक मेरी सेवा करने में निरन्तर लगे रहते हैं, उन्हें मैं ज्ञान प्रदान करता हूँ, जिसके द्वारा वे मुझ तक आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को ज्ञात होना चाहिए कि कृष्ण प्रेम प्राप्ति ही जीव का मूल लक्ष्य है। जब लक्ष्य निर्दिष्ट है, तो पथ पर मन्दगति से प्रगति करने पर भी अंतिम लक्ष्य प्राप्त हो जाता है।

चंद्रोदय मंदिर के नवीन प्रागंण में आयोजित गौर पूर्णीमा महामहोत्सव के दौरान भक्ति से भाव विभोर होकर भक्त अपने आराध्य को निरंतर निहारते रहे। इस कार्यक्रम में मथुरा, आगरा, लखनऊ, दिल्ली, गुरूग्राम, जयपुर, हरियाणा एवं मध्य प्रदेश के अन्य जिलों भक्तगण परिकर उपस्थित हुए।

हिन्दुस्थान समाचार/महेश/मोहित

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