हमीरपुर में कुमार गुप्त काल में बना था संगमेश्वर शिवमंदिर

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हमीरपुर में कुमार गुप्त काल में बना था संगमेश्वर शिवमंदिर


हमीरपुर, 05 अगस्त (हि.स.)। श्रावण मास के तीसरे सेामवार पर यमुना नदी किनारे संगमेश्वर शिवमंदिर में अभी तक हजारों शिवभक्त जलाभिषेक कर चुके हैं। यह मंदिर कुमार गुप्त के शासन काल में बना था, जहां एक ही अर्धें में शिव पार्वती की मूर्तियां एक साथ स्थापित है। दशकों पहले आई यमुना नदी की बाढ़ में यह मंदिर डूब गया था, लेकिन चूना पत्थर से बना यह मंदिर पूरी तरह से सुरक्षित रहा।

जनपद से करीब पांच किमी दूर मेरापुर गांव के पास यमुना नदी किनारे स्थापित संगमेश्वर मंदिर जो आज भी अपने अतीत के पुरा वैभव को संजोये है। यह मंदिर अपनी भव्यता के लिये सर्वत्र विख्यात भारत के चारों धामों में एक है, जिसमें एक ही अर्धें में शिव पार्वती की मूर्तियां एक साथ स्थापित है। इसीलिये इस मंदिर को संगमेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

मान्यता है कि यमुना नदी पार से एक गाय रोजाना इस मंदिर में आकर शिवलिंग पर अपना दूध चढ़ा जाती है। हालांकि इसे आज तक कोई देख नहीं पाया है। लेकिन अगले दिन सुबह शिव लिंग के आसपास दूध भरा देखा जाता है।

साहित्यकार डॉ. भवानीदीन प्रजापति ने बताया कि पूरे भारत में उस जमाने में अभूतपूर्व कलात्मक क्रियाशीलता की स्थापना हुई थी। गुप्तकालीन वास्तुकला की सर्वाेत्तम उपलब्धि, मंदिर स्थापत्य करने की ही थी। मंदिरों की कुछ प्रमुख विशेषतायें भी थी कि मंदिरों को हमेशा ऊंचे चबूतरों पर बनाया जाता था। चबूतरे के चारों ओर सीढ़ियां और मंदिर के भीतर गर्भगृह में देव मूर्तियां स्थापित होती थी। गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ होता था। इसी के साथ स्तम्भों पर बेलबूटे, उत्कीर्ण होते थे। गुप्तकाल की मंदिर स्थापत्य कला की परम्परा में यहां का संगमेश्वर मंदिर एकदम खरा उतरता है। तत्कालीन क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी झांसी डा. एसके दुबे ने बताया कि हमीरपुर में संगमेश्वर सहित अन्य धरोहरें अभी पुरातत्व के आधीन नहीं है। सिर्फ खंडेह और करियारी व कालिंजर मंदिर भी पुरातत्व के दायरे में है।

सूखा पड़ने पर शिवलिंग में यमुना जल से जलाभिषेक करने से हुई थी बारिश

स्थानीय राजीव शुक्ला और बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 1964 व 1966 में हमीरपुर और आसपास के इलाकों में भयंकर सूखा पड़ा था। चारों ओर हाहाकार मच गया था। तब कई गांवों के लोगों ने एकत्र होकर पहले तो नये मटके लाये फिर यमुना नदी का जल भरकर इस मंदिर के शिवलिंग का सामूहिक कूप से जलाभिषेक किया गया था। कई दिनों तक जलाभिषेक करने पर शिवलिंग पानी में पूरी तरह से डूब गया, लेकिन छोटा शिवलिंग जलाभिषेक के दौरान पानी में नहीं डूबा था। हजारों मटकों पानी पड़ने से नगर और आसपास के क्षेत्र में जमकर बरसात हुयी।

25 किमी के दायरे में सन 413 से 455 ई. के बीच बनाए गए थे अद्भुत मंदिर

मंदिर संगमेश्वर का मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है। साहित्यकार डॉ. भवानीदीन प्रजापति ने बताया कि चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद उसी का पुत्र कुमार गुप्त ने राज्य की सत्ता संभाली थी। उनका शासन सन 413 ई.से 455 ई. तक रहा। इसी अवधि में संगमेश्वर मंदिर का निर्माण कराया गया था। इस मंदिर के ठीक उत्तर दिशा में कोई 25 मील दूर स्थित भीतर गांव कानपुर नगर में भी एक गुप्तकालीन मंदिर है जहां हर साल अनेक शोधार्थी खोज करने पहुंचते है। भीतर गांव के इस गुप्तकालीन मंदिर में कोई मूर्तियां भी नहीं है इसके बावजूद गुप्तकालीन की वास्तुकला को देखने और समझने हर साल लोग जाते है।

हिन्दुस्थान समाचार / पंकज मिश्रा / दीपक वरुण / राजेश

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