गोरक्ष पीठ के संत वैद्यनाथ महाराज ने डोम राजा परिवार के साथ किया भोजन

-जाति पाति का भेदभाव मिटाने का संकल्प, खिचड़ी सहभोज को सराहा
वाराणसी, 18 मार्च (हि.स.)। प्रदेश के मुख्यमंत्री और गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर मंगलवार को पीठ से जुड़े संत वैद्यनाथ महाराज ने काशी के डोम राजा स्व. संजीत चौधरी के परिजनों के साथ सहभोज किया। इस दौरान संत के साथ उपस्थित लोगों ने जाति-पाति के भेदभाव को समाप्त करने का संकल्प लिया। संत ने कहा कि खिचड़ी सहभोज इसका सबसे अच्छा माध्यम है, जिससे वृहद हिंदू समाज को एकजुट किया जा सकता है।
इस दौरान संत वैद्यनाथ महाराज ने जाति—पाति, ऊंच-नीच, दलित जैसे शब्दों के खिलाफ आवाज उठाई। वे मीनाक्षीपुरम की चर्चित घटना के बाद पूरी तरह से आहत थे और दलितों के धर्म परिवर्तन की बात सुनकर उन्हें गहरा धक्का लगा था। इसके बाद वे काशी नगरी में डोम राजा के परिजनों ओम चौधरी के आवास शेरवाली कोठी पहुंचे। बताते चले लगभग चार दशक से अधिक समय पहले, तमिलनाडु के तिरुनेलवेली के एक छोटे से गांव मीनाक्षीपुरम में वर्ष 1981 के फरवरी माह में लगभग 1,500 दलितों (लगभग 200 परिवार) ने इस्लाम धर्म अपना लिया था, जो कि वर्चस्वशाली जातियों के जातिगत उत्पीड़न से तंग आ चुके थे। धर्म परिवर्तन के कुछ समय बाद ही गांव का नाम बदलकर रहमत नगर कर दिया गया। इस घटना को लेकर पूरे देश में हड़कम्प मच गया था। बताते चले मीनाक्षीपुरम की घटना के बाद 18 मार्च 1994 को तत्कालीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी महाराज ने धर्माचार्यों, ब्राह्मणों, क्षत्रियों, वैश्यों, शूद्रों के साथ एक ही पंक्ति में तत्कालीन वाराणसी के डोमराजा संजीत चौधरी के घर पर सहभोज किया था। जिसे समरसता सहभोज का नाम देकर विश्व हिंदू महासंघ ने इसे अनवरत चलाने का संकल्प लिया था। इसी क्रम में राष्ट्रसंत महंत अवैद्यनाथ व डोमराजा संजीत चौधरी की स्मृति में डोमराजा परिवार के घर शेरवाली कोठी में सहभोज आयोजित किया गया। सहभोज कार्यक्रम में विश्व हिंदू महासंघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष भिखारी प्रजापति व अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी