रुक्मणी एवं कृष्ण साक्षात आत्मा और परमात्मा हैं : धीरशांत दास ''अर्द्धमौनी''
- वसुन्धरा कालोनी मझोला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा का षष्ठम दिवस
मुरादाबाद, 4 मई (हि.स.)। महानगर के मंडी समिति स्थित वसुन्धरा कालोनी मझोला में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर शनिवार को कथा व्यास एवं धर्मगुरु आचार्य धीरशांत दास ''अर्द्धमौनी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा अलग-अलग नहीं है। भगवान चैतन्य महाप्रभु ने संयुक्त अवतरण किया ''श्रीकृष्ण चैतन्य राधा कृष्ण नहीं अन्य''। राधा जी एवं रुक्मणी सहित समस्त सोलह हजार पटरानियों में एक ही तत्व है कि वो सब भगवान श्री कृष्ण की सेविकाएं हैं। हम भी भगवान की प्रेममयी सेवा करके भगवत धाम के अधिकारी बन सकते हैं।
आज कथा में धूमधाम से रुक्मणी मंगल एवं बारात का मनोहारी वर्णन कर। भगवान श्रीहरि से शास्वत सम्बन्ध जोड़ने का आवाहन किया। धीरशांत दास ने आगे कहा कि बिना दया के किये गये काम में कोई फल नहीं मिलता, ऐसे काम में धर्म नहीं होता जहां दया नहीं होती। वहां वेद भी अवेद बन जाते हैं। व्यक्ति की सेवा करो तो यह समझकर करो कि भगवान् ही इस रूप से मेरे सामने आए हैं। इससे व्यक्ति लुप्त हो जायेगा और भगवान् प्रकट हो जाएंगे।
वाणी से होने वाले पापों में चार प्रधान हैं मिथ्या बोलना, किसी की निंदा या चुगली करना, कड़ुवा बोलना और व्यर्थ की बातें करना। जहाँ तक बने कम बोलो और जो बोलो उसमें चार बातों का ध्यान रखो। तुम्हारे शब्द उद्वेग पैदा करने वाले न हों, मिथ्या न हों, प्रिय हों और हितकारी हों। ऐसा सब समय न बोल सको तो इन चारों में से तीन, दो या कम-से-कम एक सत्य पर तो डटे ही रहो। नहीं तो वाणी से भगवान् के गुण और नाम का गान करो। राम की बात या आवश्यक काम की बात। यही भगवान् की आज्ञा है।
तीनों वर्णों के द्विजों का ईष्टदेव अग्नि है। मुनियों का परमात्मा उनके हृदय में निवास करता है। जो अल्पबुद्धि हैं उनका परमात्मा प्रतिमा में निवास करता है और तत्वज्ञानी को परमात्मा सभी भौतिक चर अचर पदार्थों में दिखाई देता है।
व्यवस्था में शरद भटनागर, अपूर्वा भटनागर, सन्तोष भटनागर, अन्शू भटनागर, महेन्द्र सैनी, प्रीतम सैनी, अर्चना रानी, कुंज बिहारी, मीनाक्षी अन्नपूर्णा, कमलेश पाल, डोली कपूर, बेबी गुप्ता, मीनू चौहान, पंडित राजकिशोर शास्त्री, बंशिका भटनागर आदि ने सहयोग दिया।
हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल/बृजनंदन
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