राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सबसे प्रमुख दायित्व गटनायक : महेन्द्र
राष्ट्रहित में समर्पित सतत कदम बढ़ाने के संकल्प के साथ संघ का तीन दिवसीय शीत शिविर संपन्न
समाज में संस्कार लाने का कार्य गटनायक का
गाजियाबाद, 22 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गाजियाबाद विभाग का आइडीयल कॉलेज गोविन्द पुरम में चल रहे तीन दिवसीय शीत शिविर ''उन्नयन'' आज सहभागी गटनायकों का घोष के साथ तालमेल करते हुए शारीरिक प्रदर्शन के पश्चात क्षेत्र प्रचारक (पश्चिमी उत्तर प्रदेश) महेन्द्र के उद्बोधन से हुआ। इस शिविर में गाजियाबाद के सभी क्षेत्रों से सैकड़ो स्वयंसेवकों ने भाग लिया। जिसमें बड़ी संख्या बाल स्वयंसेवक भी शामिल थे। कड़ाके की ठंड के बावजूद शिविर में जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र से आए स्वयं सेवकों ने पूरे उत्साह से भाग लेते हुए गटनायक पद्धति से परिचित हुए और समाज एवं राष्ट्रहित में संघ की आवश्यकता एवं उसमें उनकी भूमिका की चर्चा की गई।
अपने उद्बोधन में वक्ता ने कहा कि संघ स्थापना के प्रारंभिक दौर में गटनायकों को काफी कष्ट सहना पड़ा क्योंकि उस समय हिन्दू समाज संघ को समझते नहीं थे। राष्ट्र की आधारशिला मजबूत होनी चाहिए और उसके लिए संघ मजबूत होना चाहिए। संघ की आधारशिला है गटनायक। यदि प्रारंभिक दौर की चर्चा करें तो संघ के सबसे पहले गटनायक थे, बालासाहब देवरस, जो बाद में तृतीय सरसंचालक बने।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सबसे बड़ा दायित्व, गटनायक का होता है। गटनायक का काम है, लोक-संग्रह और लोक-संपर्क करना। आज के इस समय में संघ का कार्य थोड़ा सरल है। जब संघ शुरू हुआ था हिन्दू समाज के लोग संघ को समझते नहीं थे तो उनको समझाने का काम गटनायकों का होता था। उन्होंने कहा कि संघ की प्रार्थना में पांच गुण बताये गये हैं वह सभी स्वयंसेवकों उन गुणों से परिपूर्ण होगा तो समाज में परिवर्तन आएगा, समाज संस्कारयुक्त होगा तो देश भी संस्कारयुक्त होगा। घर में और समाज में संस्कार लाने का कार्य गटनायक का है। संघ के शाखा में आने वाले विद्यार्थियों के परीक्षाफल अच्छा होना चाहिए यह काम गटनायक का होता है।, इसके लिए गटनायक उनके लिए शिक्षकों की भूमिका में भी आते है। गटनायक संघ के लिए बहुत मजबूत सूचना तंत्र का निमार्ण करते हैं। गटनायक अपने गट के स्वयंसेवकों से घर-घर में जाकर फेस-2-फेस संपर्क करते हुए उनके दुःख-सुख की सूचना रखते है। लव-जिहाद और समाज में फैली कुरीतियों को गटनायकों के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया जा सकता है।
1962 में चीन भारत पर आक्रमण कर दिया और भारतीय सेना चीन से युद्ध करने के लिए तैयार हो रही थी तो उनको कुछ चीजों की आवश्यकता थी। जिसमें भोजन भी एक था। अब इतने सैनिकों के भोजन की व्यस्था करनी थी तो सैनिक अधिकारी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारी से संपर्क किया यह दिल्ली की बात है। तो युद्ध के समय सैनिकों के लिए भोजन की व्यावस्था करने का दायित्व भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बहुत ही सुन्दर ढंग से किया था। प्रत्येक गटनायक को स्वयं की प्रतिभा बढ़ाते हुए, राष्ट्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में उत्कृष्ट योगदान देना ही एकमात्र लक्ष्य।
साथ ही उन्होंने स्वावलंबन के लिए घर में स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग पर बल देने की बात भी प्रमुखता से की। तीनों दिन अलग-अलग वक्ताओं अपने उद्बोधन में स्वास्थ्य, संस्कार, पर्यवरण, स्वावलंबन एवं स्वदेशी वस्तुओं के प्रयोग आदि विषयों की आवश्यकता पर बल दिया। इस अवसर पर गाजियाबाद विभाग कार्यवाह देवेन्द्र ने आगामी कार्य का व्रत निवेदन रखा और उपस्थित प्रांतीय एवं क्षेत्रीय पदाधिकारी परिचय कराया तो हरनंदी महानगर कार्यवाह आशीष ने मंचासीन पदाधिकारियों का परिचय कराया।
इस अवसर पर प्रमुख वक्ता के साथ मंच पर गाजियाबाद विभाग संघचालक रविप्रकाश एवं विभाग सह-संघचालक कैलाशचन्द्र, प्रान्त सह-प्रचारक विनोद, क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख आनंद, प्रान्त संपर्क प्रमुख विजय मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/फरमान अली

