जलवायु परिवर्तन के अनुकूल सब्जी फसलों पर करना होगा अनुसंधान : डॉ.राजेश कुमार
कानपुर,21 दिसम्बर (हि.स.)। जलवायु में निरंतर परिवर्तन हो रहा है,इसलिए सब्जी उत्पादकों के लिए लाभप्रद एवं नवीन तकनीकी विकसित करने के साथ ही सब्जी वैज्ञानिकों को परिवर्तित जलवायु के अनुकूल सब्जी फसलों पर अनुसंधान करना होगा। यह बात गुरुवार को चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के शाकभाजी अनुभाग कल्याणपुर पर संचालित अखिल भारतीय समन्वित सब्जी अनुसंधान परियोजना की शोध गतिविधियों के अनुश्रवण हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से आए परियोजना समन्वयक (सब्जी फसल)डॉ. राजेश कुमार ने कही।
उन्होंने कहा कि सब्जी फसलों में कीट एवं रोगों के साथ-साथ खरपतवारों का प्रकोप बढ़ता चला जा रहा है तथा मिट्टी की उर्वरा शक्ति कमजोर होने के कारण सब्जी फसलों की प्रजातियां अपनी अनुवांशिक क्षमता के अनुरूप पैदावार नहीं दे पा रही है। इसलिए सब्जी वैज्ञानिकों को किसानों की मांग एवं स्थानीय संसाधनों के अनुरूप कीट एवं रोग प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन तथा जैविक खेती के नवीन मॉड्यूल विकसित करने होंगे ताकि अधिक उत्पादन प्राप्त कर सब्जी उत्पादक अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सके।
इस अवसर पर परियोजना समन्वयक डॉ. राजेश कुमार द्वारा शोध छात्रों के साथ संवाद करते हुए कहा कि विश्व में सब्जी उत्पादन के मामले में चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान है लेकिन फिर भी प्रति व्यक्ति सब्जियों की उपलब्धता कम है। उन्होंने कहा कि सब्जी बीजों के मामले में सरकार ने नियंत्रित सार्वजनिक संस्थाओं की प्रतिस्पर्धा निजी क्षेत्रों से है इसलिए सार्वजनिक संस्थाओं को अत्यधिक उत्पादन देने वाली प्रजातियां विकसित करने के साथ-साथ बीज उत्पादन पर भी विशेष बल दिया जाना वर्तमान समय की मांग है।
अनुश्रवण के समय डॉ. डी. पी. सिंह प्रभारी अधिकारी, डॉ. राजीव, डॉ.पी.के.तिवारी एवं डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह ने अपने अपने शोध परीक्षणों का स्थलीय प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर विभाग अध्यक्ष डॉ. आर. बी. सिंह के साथ-साथ सब्जी विज्ञान विभाग के अन्य वैज्ञानिक भी मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/मोहित
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