शोध में उपागम और पद्धति की भूमिका निर्णायक : प्रो शिवहर्ष सिंह

शोध में उपागम और पद्धति की भूमिका निर्णायक : प्रो शिवहर्ष सिंह
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शोध में उपागम और पद्धति की भूमिका निर्णायक : प्रो शिवहर्ष सिंह


प्रयागराज, 14 जून (हि.स.)। ईश्वर शरण पीजी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से रिसर्च डिजाइन और रिसर्च पद्धति पर जारी समर स्कूल का समापन हुआ। विभाग के समन्वयक प्रो. शिव हर्ष सिंह ने कहा कि शोध के क्षेत्र में उपागम और पद्धति की भूमिका निर्णायक होती है। इसलिए उपागम का चयन करते समय शोध में लगने वाले समय, श्रम और संसाधन का ध्यान रखना चाहिए।

शुक्रवार को समर स्कूल के पांचवें और अंतिम दिन प्रो शिवहर्ष सिंह ने सम्बोधित करते हुए कहा कि शोध में उपागम के निर्धारण के बाद ही शोध पद्धति का चयन किया जाता है। उन्होंने शोध के विभिन्न उपागमों क्रमशः ऐतिहासिक, दार्शनिक, उदारवादी, मार्क्सवादी, नारीवादी, पर्यावरणवादी, अंबेडकरवादी और उत्तर आधुनिकतावादी के उदाहरण देते हुए उनकी विशेषताओं को उद्धृत किया।

उन्होंने प्लेटो के दार्शनिक उपागम और निगमनात्मक पद्धति, अरस्तू के ऐतिहासिक और आगमनात्मक पद्धति के साथ मैकियावेली के ऐतिहासिक उपागम के उदाहरणों से उनके शोध कार्यों का विश्लेषण किया। उन्होंने आगमनात्मक पद्धति को परिभाषित करते हुए कहा कि यह प्रेक्षित घटना का विश्लेषण होती है, जबकि निगमनात्मक पद्धति को परिभाषित करते हुए कहा कि यह प्रेक्षित घटना का सत्यापन है।

इस अवसर पर राजनीति विज्ञान के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकित पाठक ने शोध के क्षेत्र में वर्तमान समय प्रचलित मीडिया उपागम और संस्कृति उपागम की विशेषताओं को बताया। कार्यक्रम में प्रतिभाग करने वाले सभी शोधार्थियों को कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आनंद शंकर सिंह ने प्रमाणपत्र दिया। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अंकित पाठक ने किया।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/सियाराम

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