घरों में बच्चों पर प्रतिबन्ध लगाने की अपेक्षा प्रेमपूर्वक संस्कार जरूरी : डॉ रवीन्द्र

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घरों में बच्चों पर प्रतिबन्ध लगाने की अपेक्षा प्रेमपूर्वक संस्कार जरूरी : डॉ रवीन्द्र


घरों में बच्चों पर प्रतिबन्ध लगाने की अपेक्षा प्रेमपूर्वक संस्कार जरूरी : डॉ रवीन्द्र


कुटुम्ब मित्र मिलन कार्यक्रम में परिवार में एका के लिए तीन सूत्र अपनाने पर जोर

वाराणसी, 24 दिसम्बर (हि.स.)। कुटुम्ब प्रबोधन के अखिल भारतीय संयोजक डॉ. रवींद्र ने रविवार को समाज में परिवार इकाई को मजबूत करने के लिए तीन सूत्र अपनाने पर जोर दिया। इसमें परस्पर आना-जाना, पड़ोसियों से आदान-प्रदान, मित्रों में परस्पर सहभोज है। उन्होंने कहा कि परिवारों के सदस्यों में परस्पर आदर का भाव बनाना आवश्यक है। पूरे विश्व में यदि बदलाव लाना है तो यह सन्देश काशी से जाना चाहिए।

अखिल भारतीय संयोजक डॉ. रवींद्र महमूरगंज स्थित निवेदिता शिक्षा सदन में कुटुम्ब प्रबोधन काशी विभाग की ओर से आयोजित कुटुम्ब मित्र मिलन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि घरों में बच्चों को रोको, टोको और ठोको की हवा चल पड़ी है। इस प्रकार की वर्जनाएं लगाने की अपेक्षा प्रेमपूर्वक संस्कार देकर भी बच्चों को समझाया जा सकता है। डॉ रविन्द्र ने कहा कि किसी भी व्यक्ति से वाद-विवाद में उसे हराया जा सकता है, उससे मित्रता नहीं कर सकते। मित्रता के लिए हृदय में शुद्ध प्रेम का संस्कार चाहिए। जैन मुनि विद्या सागर ने एक बार कहा था कि भारत में चौदह विद्या और चौसठ उपासना विधि का अध्ययन समाप्त हो गया है। यह भी कुटुम्ब विघटन का कारण है। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ काशी के प्रांत प्रचारक रमेश ने कहा कि देश की परम्परा को बचाने का एकमात्र माध्यम कुटुम्ब प्रबोधन है। कुटुम्ब प्रबोधन के माध्यम से ही देश को परम वैभव के शिखर पर पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि प्राचीनकाल में जब भारत की कुटुम्ब व्यवस्था सर्वोच्च शिखर पर थी तब विश्व के लिए भारत नेतृत्व का कार्य करता था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सन्तान को धर्म एवं संस्कृति की शिक्षा देना आवश्यक है। परिवार की आधारशिला माताएं हैं। कुटुम्ब शब्द की रचना मातृशक्ति के बिना नहीं हो सकती। भारतीय संस्कृति के सन्दर्भों में नारी मानसिक रूप से स्वतंत्र है। इसके पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। वेंकट रमन घनपाठी ने मंगलाचरण किया। इस अवसर पर पं देवव्रत मिश्र द्वारा बनाया गया बनारस गन्धर्व शास्त्रीय राग की प्रस्तुति हुई जिसमें उनके 21 शिष्यों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संयोजन प्रान्त कुटुम्ब संयोजक डॉ.शुकदेव त्रिपाठी, संचालन काशी दक्षिण भाग के कुटुम्ब संयोजक अनिल,आभार ज्ञापन काशी दक्षिण विभाग संयोजक डा.डी.एस. मिश्र ने किया। कार्यक्रम में क्षेत्र कुटुम्ब संयोजक अशोक उपाध्याय, संयुक्त क्षेत्र संयोजक कुटुम्ब प्रबोधन ओमपाल , उद्यमी आर.के.चौधरी आदि की उपस्थिति रही।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/प्रभात

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