रामगंगा और गांगन नदी के तटों पर उमड़े हजारों श्रद्धालु, लगाई आस्था की डुबकी

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रामगंगा और गांगन नदी के तटों पर उमड़े हजारों श्रद्धालु, लगाई आस्था की डुबकी


रामगंगा और गांगन नदी के तटों पर उमड़े हजारों श्रद्धालु, लगाई आस्था की डुबकी


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मुरादाबाद, 27 नवम्बर (हि.स.)। जनपद में सोमवार को कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था की डूबकी लगाने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु रामगंगा नदी और गांगन नदी के तटों पर उमड़े। धार्मिक मान्यता वाले इस पर्व पर लालबाग स्थित श्री काली माता मंदिर और दिल्ली रोड पर गगन नदी के किनारे पर भव्य मेला लगा। लोगों ने नदी के तट पर पूजा-अर्चना की, नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार कराया। गंगा नदी में स्नान और जल की छींटें स्वयं पर छिड़क कर पुण्य प्राप्त किया। पुलिस प्रशासन ने लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम किए थे।

कार्तिक पूर्णिमा पर बीती आधी रात से ही श्रद्धालु रामगंगा नदी के तट पर इकट्ठा होने लगे थे। सूर्य निकलने से पहले ही स्नान कार्यक्रम शुरू हुआ। सूर्य उदय पर पुष्प और चावल लेकर भास्कर देव को जल अर्पित किया। नदी में स्नान करके श्रद्धालुओं ने मनोकामना मांगी। रामगंगा विहार, कटघर के गंगा मंदिर, लालबाग के काली माता मंदिर, दसवां घाट पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब नजर आया। मंदिरों पर लगे मेलों में लोगों ने जमकर खरीदारी की। लोगों ने नदी के तटों पर पूजा अर्चना करके ब्राह्मणों को दान दिया।

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्री हरि ज्योतिष संस्थान केन्द्र के संचालक पंडित सुरेंद्र शर्मा ने कार्तिक पूर्णिमा की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान विष्णु ने पहला अवतार लिया था। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप भी धुल जाते हैं।

पंडित सुरेंद्र शर्मा ने आगे कहा कि एक मान्यता यह भी है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुर राक्षस का वध किया था। त्रिपुर ने एक लाख वर्ष तक तीर्थराज प्रयाग में तपस्या की। अप्सराओं के जाल में भी त्रिपुर नहीं फं सा था। ब्रह्मा जी ने वरदान मांगने को कहा तो उसने मनुष्य और देवता के हाथों न मारे जाने का वरदान प्राप्त किया। शिवजी ने ब्रह्माजी और विष्णुजी की सहायता से त्रिपुर का वध किया।

जलेबी लेने को उमड़ी भीड़

कार्तिक पूर्णिमा पर जलेबी खाना शुभ होता है। इसलिए मिठाई की दुकानों पर सुबह से ही लोगों का तांता लगा रहा। पुराणों के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर चावल और काली उड़द की दाल का दान किया जाता हैं। चावल और काली उड़द की दाल की खिचड़ी भी घरों में बनाई जाती है और भंडारे में भी इस खिचड़ी का प्रसाद लोगों को वितरित किया जाता हैं। सोमवार को लोगों ने गंगाजी व घरों में स्नान के बाद पूजा अर्चना करके काली उड़द की दाल और चावल मानस कर पुरोहित जी को दान दिए।

सोमवार को रामगंगा और गांगन नदी पर लोग बड़ी संख्या में स्नान करने व मेले का आनंद उठाने पहुंचे। जिसके मद्देनजर दोनों स्थानों पर काफी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। पुलिस प्रशासन ने बेरिकेटिंग भी लगा रखी थी। पुलिसकर्मियों ने नदी के निकट जाने वालों को सुरक्षा की हिदायत भी देते रहे।

हिन्दुस्थान समाचार/निमित जायसवाल/दीपक/राजेश

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