राम आभास नहीं भारत के यथार्थ हैं : आचार्य मिथिलेशनंदिनी

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राम आभास नहीं भारत के यथार्थ हैं : आचार्य मिथिलेशनंदिनी


राम आभास नहीं भारत के यथार्थ हैं : आचार्य मिथिलेशनंदिनी


- राम की प्राण प्रतिष्ठा इतिहास और भूगोल की प्रतिष्ठा है

- मंदिर में प्रतिष्ठित हुए राम, अब उन्हें अपने मन में करें प्रतिष्ठित

लखनऊ, 04 फरवरी (हि.स.)। अयोध्या के आचार्य मिथिलेशनंदिनी शरण ने रविवार को श्रीराम दरबार कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्रीराम देश के आभास नहीं यथार्थ हैं। अधर्म इतना शक्तिशाली नहीं हो सकता है कि वह धर्म को विस्थापित कर दें। धर्म की अनुपस्थिति में जो होता है वही अधर्म है।

उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को बहुत लोग झुठलाने की कोशिश करते हैं। यह केवल आस्था की प्रतिष्ठा नहीं है, इतिहास और भूगोल दोनों की प्रतिष्ठा हुई है। अब सब उन्हें अपने मन की अयोध्या में भी प्रतिष्ठित करें, क्योंकि वे हमें मनुष्यता सिखाने आए थे। हम फिर से रामराज्य की ओर बढ़ रहे हैं।

श्री गुरु वशिष्ठ न्यास की ओर से आयोजित दो दिवसीय विचार दर्शन श्रीराम दरबार कार्यक्रम का शानदार समापन हुआ। समापन सत्र रामराज्य की ओर को संबोधित करते हुए राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने कहा कि आज देश में तुष्टिकरण की नहीं संतुष्टिकरण का शासन चल रहा है। राजनेताओं को तो राम से सीखना चाहिए कि रावण के प्रति भी शत्रुता का भाव उनमें नहीं था। रामराज्य की कल्पना को आज की सरकार यथार्थ रूप में साकार कर रही है।

इस अवसर पर श्री गुरु वशिष्ठ न्यास के अध्यक्ष प्रमोद मिश्रा, सचिव शैलेंद्र जायसवाल, न्यासी पुनीत श्रीवास्तव, मानस भूषण आदि थे।

भाजपा प्रवक्ता बोले, समग्रता से आगे बढ़ रहा भारत

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ही नहीं भारत का हर एक राज्य समग्रता से आगे बढ़ रहा है। हम समावेशी विकास के साथ सबका साथ और सबका विकास के मॉडल पर काम कर रहे हैं। हमारे सांस्कृतिक गौरव स्थल विकसित हो रहे हैं, उनका पुराना वैभव लौट रहा है। यह केवल मंदिरों का जीर्णोद्धार नहीं है बल्कि एक नई इकॉनामी का सृजन हुआ है, जो विकसित भारत की यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा।

केवल भगवान नहीं, हर एक भारतीय के नायक हैं राम

दूसरे सत्र में अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में सम्मिलित विशिष्टजन अपने संस्मरण सुनाए। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रो. आनंद रंगनाथन ने कहा कि उनके लिए वह अद्भुत अवसर था। 22 जनवरी को केवल आमंत्रित लोग ही नहीं लाखों ऐसे लोग भी अयोध्या में अपने आप आ गए थे जिन्हें किसी ने बुलाया नहीं था। वे सभी अपने राम से मिलने आए थे। लोग पैदल ही चले आ रहे थे, कोई भी अकेला नहीं था, अयोध्या में आकर सब एक-दूसरे से घुल मिल गए। क्या राजा, क्या रंक, सब राम की धुन में रमे थे।

विविधताओं के बाद भी एक है भारत

प्रो.आनंद रंगनाथन ने कहा कि अभी राम दरबार लगा है। आगे शिव और कृष्ण का भी दरबार लगाना पड़ेगा। कहा कि हमारी संस्कृति विश्व के कल्याण की है। हमने कोविड के दौरान यह दिखाया और दुनिया ने भारत की सहृदयता प्रशंसा की। शेफाली वैद्य ने कहा कि भारत समग्र रूप से एक सांस्कृतिक राष्ट्र है। जहां सभी समाज, जाति और रंग के लोग एक संस्कृति को मानते हैं, इसलिए भारत विविधताओं के बाद भी एक है।

राम मंदिर से भारत के आर्थिक विकास को मिलेगी रफ्तार

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव और विचारक रमणीक मान ने कहा कि डिजिटलीजेशन की दिशा में भारत की गति विश्व की गति से आगे है। आज रेहड़ी पटरी वाला भी यूपीआई से पेमेंट लेता और देता है। दुनिया यूपीआई की दीवानी है। आज भारत रक्षा, फ़ार्मा, एग्री, ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में लीडर बनकर उभरा है।

हिन्दुस्थान समाचार/कमलेश्वर शरण/राजेश

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