किन्नरों पर राम की विशेष कृपा रही, गिलहरी को भी दिया आशीर्वाद: बालक दास
-राम सम्बन्ध कथा का अंतिम दिन, सम्बन्धों के संसाधन और रिश्तों की पूंजी से बना राम सेतु
वाराणसी, 16 अप्रैल (हि.स.)। नरहरपुरा ईश्वरगंगी स्थित पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने कहा कि सम्बन्धों की व्याख्या भगवान राम ने ऐसी की, जिसमें संघर्ष को कोई स्थान नहीं है। अपने पिता के कहने पर वन गए लेकिन राज्य के लिये कोई संघर्ष नहीं किया। भरत ने राज्य मिलने के बाद भी उसे ठुकरा कर अपने बड़े भाई से सम्बन्ध निर्वहन किया। माता जानकी ने पति से सम्बन्ध निभाया और उनके साथ जंगल चल दीं। लक्ष्मण ने भाई से सम्बन्ध निभाया और 14 वर्षों तक वन में रहकर सेवा करते रहे। भगवान ने केवट, भील और चित्रकूट के वनवासियों के साथ सम्बन्ध निभाया, उनके साथ रहे और उनका दिया भोजन किया।
महंत बालक दास मंगलवार को रामकथा का रसपान करा रहे थे। विशाल भारत संस्थान एवं रामपंथ की ओर से लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित दो दिवसीय राम सम्बन्ध कथा के अंतिम दिन राम के सम्बन्ध शास्त्र पर चर्चा हुई। व्यास पीठ पर आसीन महंत बालक दास ने कहा कि जटायु ने महाराज दशरथ से सम्बन्ध निभाते हुए माता जानकी को रावण से बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिये। राम ने जटायु को पिता का दर्जा देकर उनका अंतिम संस्कार किया। सबको दर्शन दिये, ऋषियों की रक्षा की। माता शबरी से सम्बन्ध निभाया और उनका जूठा बेर खाया। सुग्रीव से मित्रता कर सम्बन्ध निभाया और बाली को मारकर राज्य दिलाया। बाली के साथ सम्बन्ध निभाया और उसको दिए बचन के अनुसार उसके पुत्र अंगद को युवराज बनाया। अपने शत्रु रावण के भाई विभीषण से सम्बन्ध निभाया और लंका का राजा बना दिया। भगवान राम ने अपने मानवीय लीला के माध्यम से समझाया कि धन की पूंजी जमा करने से कोई संकट दूर नहीं होता। अगर सम्बन्धों का संसाधन और रिश्तो की पूंजी हो तो समुद्र पर भी पुल बाँधा जा सकता है।
रामपंथ के पंथाचार्य डॉ राजीव ने कहा कि कथा का उद्देश्य सांस्कृतिक पुनर्जागरण है। इस कथा में सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया। सम्बन्धों को बनाने और रिश्तों को निभाने का प्रशिक्षण इस कथा के माध्यम से दिया गया। दो दिवसीय कथा से रामभक्ति की धारा बह निकली और रामनवमी के दिन सभी भेद को व्यवहारिक तरीके से खत्म करते हुए रामपंथ में सभी जातियों के लोगों को दीक्षित किया जाएगा और दुनिया का पहला श्रीराम सम्बन्ध मन्दिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। कथा में महंत बालक दास महाराज ने राम सम्बन्ध कथा में आये भक्तों को आपसी रिश्तों को निभाने की सौगन्ध दिलाई।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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