रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से गदगद हुए मेरठ के रामभक्त

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से गदगद हुए मेरठ के रामभक्त
WhatsApp Channel Join Now
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से गदगद हुए मेरठ के रामभक्त


मेरठ, 22 जनवरी (हि.स.)। अयोध्या धाम में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से मेरठ के रामभक्त गदगद हो गए। श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में अपना अमूल्य सहयोग देने वाले कारसेवक इस ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनकर खुद को धन्य मान रहे हैं। अयोध्या में हुए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का शहर में कई स्थानों पर लाइव प्रसारण किया गया।

श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में मेरठ के रामभक्तों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। इनमें कंकरखेड़ा के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य स्वर्गीय श्याम बिहारी ने श्रीरामजन्म भूमि आंदोलन को मूर्त रूप एवं सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके बेटे सामाजिक कार्यकर्ता शीलवर्धन बताते हैं कि श्रीराम शिलाओं की शोभायात्रा कंकरखेडा नगर में निकाली गई। स्थान स्थान पर स्थानीय लोगों द्वारा यात्रा का रामभक्तो द्वारा अभूतपूर्व स्वागत किया गया। डॉ. शादीलाल हांडा की पत्नी ने शिलाओं को अपने सिर पर रखकर भाग लिया था। 1990 में श्याम बिहारी को गिरफ्तार कर मुजफ्फरनगर जिला कारागार में रखा गया।

मेरठ के सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता कृष्ण कुमार चौबे 1987 में राम सहाय इंटर कॉलेज में कक्षा नौ के छात्र थे। उस वक्त राम ज्योति का अभियान चल रहा था। वे श्रीराम मंदिर निर्माण में लगने वाली शिलाओं को ठेले पर लेकर शहर भर में घूमते थे। खंदक बाजार निवासी पंकज कश्यप 1992 में बाबरी ढांचे के विध्वंस से निकली एक मूर्ति को लेकर मेरठ आ गए थे। आज भी यह मूर्ति उनके पास है।

भाजपा के महानगर अध्यक्ष विवेक रस्तोगी भी श्रीरामजन्मभूमि आंदोलन में दो बार जेल गए। कंकरखेड़ा क्षेत्र में कलश कारसेवकों की अस्थि कलश यात्रा निकाली थी। इसके बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके उन पर टाडा में लगाकर जेल भेज दिया। इस दौरान जेल में उन्हें यातानाएं दी गई।

जागृति विहार निवासी दिगंगर सिंह चौहान ने 28 अगस्त 1990 को 28 अक्टूबर 1990 को तेजगढ़ी चौराहे से गिरफ्तार किया गया। वह श्रीराम मंदिर आंदोलन में अग्रणी भूमिका में रहे। इसी तरह से सदर ढोली मोहल्ला निवासी कारसेवक मुकुल सिंघल भी 1992 में बाबरी विध्वंस को अपनी आंखों से देखा। इसके बाद अयोध्या में पूरी रात आतिशबाजी की गई थी।

मवाना खुर्द निवासी बजरंदल के पूर्व जिला संयोजक सचेंद्र त्यागी उर्फ नीटू के अनुसार, 22 अक्टूबर 1990 में मवाना से कई रामभक्त कारसेवा के लिए अयोध्या के लिए रवाना हुए। रास्तों में कारसेवकों को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा रहा था। पुलिस से बचने के लिए वह 134 किलोमीटर रेल पटरी पर चलते हुए अयोध्या पहुंचे थे। वहां पर पुलिस के लाठीचार्ज में कई कारसेवक घायल हो गए।

अयोध्या धाम में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा से श्रीराम मंदिर आंदोलन में भाग लेने वाले रामभक्त गदगद है। इतनी लंबी प्रतीक्षा के बाद श्रीराम मंदिर का निर्माण होते देखकर खुद को धन्य मान रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/ डॉ. कुलदीप/राजेश

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story