संस्कृति का संरक्षण करके ही हम राष्ट्रीयता का कर सकते हैं संरक्षण : कौशल
लखनऊ, 19 अगस्त(हि. स.)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से सोमवार को रक्षाबंधन उत्सव मनाया गया। इस मौके पर अतिथियों ने परम पवित्र भगवाध्वज को रक्षा सूत्र बांधकर हिन्दुत्व व राष्ट्र रक्षा का संकल्प लिया। इस उत्सव में स्वयंसेवकों ने एक-दूसरे की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा और राष्ट्र की एकता व एकात्मकता के लिए संकल्प लिया।
यह कार्यक्रम लखनऊ उत्तर भाग के हनुमान नगर और भरत नगर का संयुक्त तात्वाधान में सीतापुर रोड स्थित एक निजी विद्यालय में किया गया।
रक्षाबंधन उत्सव कार्यक्रम के मुख वक्ता एवं अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल ने कहा कि हमारे मनीषियों ने उत्सव एवं पर्वों के माध्यम से समाज को एकत्रित करने की संकल्पना की थी। हमारे ऋषियों ने इन पर्वों को मनाकर समाज को एकजुट करते हुए विचार-विमर्श की पद्धति बनायी थी। इसी का एक उदाहरण है कुम्भ का आयोजन।
उन्होंने कहा कि कुम्भ के माध्यम से पूरे देश और दुनिया के हिन्दू एकत्र होते हैं। वे एक स्थान पर एकत्र होकर ज्ञान का आदान-प्रदान करते थे।
उन्होंने कहा कि देशवासियों को बताया गया है कि उत्तर से गंगा जल लाकर दक्षिण स्थित रामेश्वरम में जल चढ़ाना चाहिये। ऐसा करने से आमजन पूरे देश का भ्रमण करते हुए अपनी संस्कृति का विकास करता है। हमारे ऋषियों ने इसलिए इन पर्वों का सृजन किया है। इसके आगे उन्होंने कहा कि संस्कृति को अक्षुण्ण रखना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि यही जीवन पद्धति हमें विशेष बनाती है।
प्रांत प्रचारक कौशल ने धर्मांतरण की समस्या पर विचार प्रकट करते हुए कहा कि धर्मांतरण की समस्या मात्र उपासना पद्धति को बदलने की नहीं है। इससे राष्ट्रांतरण होता है। इससे राष्ट्रीयता के प्रति सम्मान की भावना भी बदल जाती है। संस्कृति का संरक्षण करके ही हम राष्ट्रीयता का संरक्षण कर सकते हैं। इसके लिये उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथिगणों से कहा कि अपने पर्व समाज के उन पिछड़े लोगों के बीच मनाना चाहिये जो विकास की मुख्यधारा से दूर होते हैं। ऐसे लोगों के बीच पर्व की खुशी मनाते हुए हम उन्हें अपनी संस्कृति और देशप्रेम की भावना से ओत-प्रोत कर सकते हैं।
रक्षाबंधन कार्यक्रम की अध्यक्षता ब्रह्माकुमारी की राधा बहन ने की। उन्होंने स्वयंसेवकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि रक्षाबंधन पर्व का अर्थ होता है बहन की सुरक्षा करने का दायित्व उठाना। यूँ तो कोई भी किसी भी बंधन में बँधना नहीं चाहता लेकिन राखी का बंधन एक ऐसा बंधन है, जिसमें सभी सहर्ष बँध जाते हैं। बस, इस पर्व को यह जानते हुए मनाने की आवश्यकता है कि हमें देश की हर बहन की सुरक्षा का करने का संकल्प लेना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अपने धर्म का अध्ययन करते हुए अपने ‘स्व’ की रक्षा करते हुये ही हम आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा करके ही हम अपने धर्म, संस्कृति और पवित्रता की रक्षा कर सकते हैं। हमें गीता का पाठ करते हुए अपने विचारों को दूषित होने से बचाना होगा। यह भी रक्षाबंधन का एक संकल्प ही है। दूसरों की रक्षा करने के साथ ही हमें यह भी संकल्प लेने की आवश्यकता है कि हम अपने चरित्र की भी रक्षा करें।
हिन्दुस्थान समाचार / शरद चंद्र बाजपेयी / राजेश
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