राजर्षि टंडन चाहते थे हिन्दी जन-जन की भाषा बने : प्रो त्रिभुवन शुक्ला
--मुक्त विवि में राजर्षि टंडन स्मृति व्याख्यान माला आयोजित
प्रयागराज, 01 अगस्त (हि.स.)। उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में बृहस्पतिवार को भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के जन्म दिवस पर स्मृति व्याख्यान माला के 17वें पुष्प का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि आचार्य त्रिभुवन नाथ शुक्ला ने कहा कि राजर्षि टंडन चाहते थे कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिले और वह जन-जन की भाषा बने। वह हिन्दी को पूर्ण रूप से स्थापित करना चाहते थे। उनके व्यक्तित्व में दृढ़ता थी जो उनके पत्रों में भी झलकती थी।
मुख्य अतिथि हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर त्रिभुवन नाथ शुक्ला ने भारत भारती के आराधक स्थितप्रज्ञ राजर्षि विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि इस तरह के पत्र उन्होंने गांधीजी एवं जवाहरलाल नेहरु को लिखे थे। टंडनजी जैसा बोलते थे वैसा ही लिखते थे। उनकी भाषा में व्यंजना के संदेश साफ परिलक्षित होते थे। आज हम सभी को टंडनजी के आदर्शों को आत्मसात करना चाहिए।
सारस्वत अतिथि अनंत विजय, वरिष्ठ पत्रकार, नई दिल्ली ने कहा कि राजर्षि टंडन दृढ़ निश्चयी थे। उनका राजनीति में प्रवेश हिन्दी प्रेम के कारण हुआ। वह हिन्दी को देश की आजादी के पहले आजादी प्राप्त करने का साधन मानते थे।
विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री डॉ नरेन्द्र कुमार सिंह गौर ने कहा कि राजर्षि टंडन ने हिन्दी की आजीवन सेवा की। हिन्दी का उनसे बड़ा कोई समर्थक नहीं था। आज युवा पीढ़ी को टंडनजी के बारे में जानने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महिलाओं की शिक्षा में मुक्त विवि अग्रणी भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि कुलपति प्रोफेसर सत्यकाम के नेतृत्व में विश्वविद्यालय मानक पर खरा उतरेगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मुक्त विवि के कुलपति प्रो सत्यकाम ने कहा कि राजर्षि टंडन महिलाओं की शिक्षा के हिमायती थे। यह विश्वविद्यालय उनके आदर्शों पर चलकर अधिक से अधिक महिलाओं को प्रवेश देने के लिए सतत प्रयासरत है। इसके लिए हम गांव-गांव तक अपनी पहुंच बना रहे हैं। जिससे राजर्षि के आदर्श को पूरा कर सकें। देश को आगे बढ़ना है तो महिलाओं को शिक्षित करना होगा।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा अटल प्रेक्षागृह में राजर्षि टंडन पर आधारित पुस्तक प्रदर्शनी का शुभारम्भ किया गया। इसके साथ ही राजर्षि टंडन के जीवन वृत्तांत पर निर्मित वृत्त चित्र का प्रदर्शन किया गया। समारोह में हिंदुस्तानी एकेडमी के सहयोग से कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया।
डॉ प्रभात चंद्र मिश्र ने बताया कि इस अवसर पर एक माह तक चली राजर्षि टंडन के जीवन चरित्र से सम्बंधित निबंध, कविता, लेख, रेखा चित्र तथा पेंटिंग प्रतियोगिता में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान पाने वाले विजेताओं को प्रमाण पत्र एवं नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। साथ ही अतिथियों द्वारा विश्वविद्यालय के शिक्षकों डॉ जी के द्विवेदी, डॉ गौरव संकल्प, डॉ सोहनी देवी, डॉ साधना श्रीवास्तव की पुस्तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम आचार्य चाणक्य कौटिल्य एवं कोर्ट का वर्णन तथा कहानी संग्रह रास्ते मिलेंगे का विमोचन किया गया। राजर्षि टंडन जन्म दिवस आयोजन समिति के समन्वयक प्रोफेसर एस कुमार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।
संचालन डॉ देवेश रंजन त्रिपाठी तथा धन्यवाद ज्ञापन कुल सचिव कर्नल विनय कुमार ने किया।
हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र / बृजनंदन यादव
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