पूर्वांचल विश्वविद्यालय का शोध संस्थान दुनिया में जाना जाएगा : कुलपति

पूर्वांचल विश्वविद्यालय का शोध संस्थान दुनिया में जाना जाएगा : कुलपति
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पूर्वांचल विश्वविद्यालय का शोध संस्थान दुनिया में जाना जाएगा : कुलपति


--20 करोड़ की लागत से तैयार होगा नया शोध भवन

जौनपुर, 07 जून (हि.स.)। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी संजय राय ने शुक्रवार को हिन्दुस्थान समाचर प्रतिनिधि से बात करते हुए बताया कि विज्ञान की नई शाखाओं के स्नातक और परास्नातक कोर्स तो लगभग सभी संस्थान पढ़ा रहे हैं। इसलिए हमें कुछ नया करना होगा। इसी को देखते हुए पूर्वांचल परिसर में रज्जू भैया संस्थान को छोड़कर एक नया शोध भवन बनाने की तैयारी तेज हो गई है। यह भवन लगभग 20 करोड़ की लागत से तैयार होगा।

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध करने के लिए विश्वविद्यालय की कुलपति लगातार प्रयासरत है। उसी क्रम में पीएम उषा से मिले 20 करोड़ की लागत तथा विश्वविद्यालय भी अपने मद से कुछ पैसे को खर्च कर परिसर में नए शोध भवन का निर्माण कराएगा। जिसमें उच्च स्तर की शोध की सुविधा होगी। पीएम उषा से मिला पैसा शोध और छात्र सुविधाओं पर खर्च होगा। इससे ढांचागत सुधार और शोध अनुसंधान की जरूरतों को पूरा करने में भरपूर मदद मिलेगी। पीएम उच्चत्तर शिक्षा अभियान के तहत मल्टी डिस्पलेनरी एजूकेशन एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी के रूप में यह बजट मंजूर हुआ है।

कुलपति प्रो वंदना सिंह ने बताया कि वैज्ञानिकों को केंद्र की स्थापना के लिए विश्वविद्यालय की तरफ से हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि इस केंद्र की स्थापना से विद्यार्थी एवं संकाय को शोध के क्षेत्र में व्यापक अनुभव होगा। जिसका उपयोग वह उच्च शोध के रूप में कर सकेंगे। जिसमें वैज्ञानिकों और छात्रों को बेहतर शोध कार्य में सुविधा मिल सके और उच्च स्तर पर पूर्वांचल विश्वविद्यालय अपना परचम लहरा सके।

वित्त अधिकारी ने बताया कि केंद्र से इस ग्रांट को लेकर पत्र प्राप्त होने से विवि में तय की गई मदों पर व्यय करने की प्रक्रिया शुरू होगी। इससे विवि में आम छात्रों को हर विभाग में बेहतर सुविधाएं मिलेंगी। वहीं शोध के लिए नए भवन बनाने की तयारी तेज हो गई है। जिसमे उपकरणों सहित आधुनिक लैब आदि की सुविधा मिलेगी। इस राशि से ढांचागत विकास, भवनों के रख-रखाव, शोध उपकरणों की खरीद, शोध केंद्र स्थापित करने, हर विभाग में तकनीकी विकास गतिविधियों की नजर से विकसित करने जैसे कार्य किए जाएंगे।

हिन्दुस्थान समाचार/विश्व प्रकाश/विद्याकांत

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