डॉ. मुखर्जी के संघर्षों से भारत का हिस्सा है पंजाब व पश्चिम बंगाल : प्रकाश पाल
- महान विचारक एवं प्रखर शिक्षाविद थे डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी
कानपुर, 23 जून (हि.स.)। जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर रविवार को भाजपा दक्षिण जिले के सभी 1162 बूथों पर पार्टी पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्पांजलि देकर श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके साथ ही अपनी अपनी मां के साथ पौधरोपण कर कार्यकर्ताओं ने सेल्फी ली और सरल ऐप पर अपलोड किया। क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने कहा कि कि पंजाब और पश्चिम बंगाल आज यदि भारत का हिस्सा है तो यह डॉ मुखर्जी के संघर्षों का ही परिणाम है।
केशव नगर स्थित भाजपा दक्षिण पार्टी कार्यालय में रविवार को संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता बूथ संख्या 111 के बूथ अध्यक्ष अमित शुक्ला ने की। क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल एवं दक्षिण जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह ने जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर उनके चित्र पर माला एवं पुष्पार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल ने डॉ मुखर्जी का जीवन परिचय, राजनीतिक परिचय तथा देश के अखंडता, एकता के लिए किए गए त्याग और बलिदान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भाजपा के शिखर पुरुष डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी का प्रथम लक्ष्य राष्ट्रीय एकता की स्थापना था। उन्होंने कहा था देश में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान कतई बर्दाश्त नहीं है। भारतीयों को कश्मीर दिलाने के लिए 1953 में बिना परमिट लिए ही जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े वहां पहुंचने पर उनको नजर बंद कर जेल में डाल दिया गया जहां 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने कहा कि पंजाब और पश्चिम बंगाल आज यदि भारत का हिस्सा है तो यह डॉ मुखर्जी के संघर्षों का ही परिणाम है।
जिलाध्यक्ष शिवराम सिंह ने कहा कि डॉ मुखर्जी सदैव भारत के सुनहरे भविष्य की कल्पना करते थे। राष्ट्रीय एकता के लिए उनके किए गए कामों को भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी को सच्ची श्रद्धांजलि तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को धारा 370 को हटाने के प्रस्ताव को संसद में पास कर उसी दिन दे दी थी। क्योंकि भारत वासियों को कश्मीर वापस दिलाने का सपना उन्होंने ही भारत वासियों को दिखाया था। 6 जुलाई 1901 में बंगाल के कलकत्ता शहर में जन्मे डॉ मुखर्जी एक विचारक तथा प्रखर शिक्षाविद थे। वे सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक एवं सिद्धांत वादी थे।
इस दौरान अनीता गुप्ता, दीप अवस्थी, प्रबोध मिश्रा, रघुनंदन भदौरिया, मनीष त्रिपाठी, वंदना, गुप्ता, संजय कटियार, सुनील साहू, अर्जुन बेरिया, गिरीश चंद्रा आदि मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/अजय/बृजनंदन
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