सार्वजनिक खरीद शासन का एक आवश्यक स्तम्भ : डॉ अनुराग
प्रयागराज, 23 सितम्बर (हि.स.)। सार्वजनिक खरीद शासन का एक आवश्यक स्तम्भ है। क्योंकि इसमें सरकार की ओर से वस्तुओं और सेवाओं का अधिग्रहण शामिल है। सार्वजनिक खरीद में सतर्कता के मुद्दे भ्रष्टाचार, पक्षपात और अकुशलता को जन्म दे सकते हैं, जो अंततः देश के समग्र विकास और प्रगति को प्रभावित करते हैं। उक्त विचार डॉ. अनुराग बहादुर सिंह, सहायक प्रोफेसर, भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, व्यापार वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली ने सोमवार को भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में “सार्वजनिक खरीद में सतर्कता के मुद्दे” पर व्यक्त किया। उन्होंने प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक खरीद में सतर्कता के महत्व पर प्रकाश डाला।
डॉ. अनुराग द्वारा उजागर किए गए सार्वजनिक खरीद में प्रमुख सतर्कता मुद्दों में से एक प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देशों और विनियमों की आवश्यकता पर जोर दिया कि सभी खरीद गतिविधियां पारदर्शी तरीके से संचालित की जाती हैं। पारदर्शिता के बिना, भ्रष्टाचार और पक्षपात का खतरा होता है। क्योंकि आपूर्तिकर्ताओं का चयन योग्यता के बजाय व्यक्तिगत सम्बंधों के आधार पर किया जा सकता है।
इस अवसर पर ट्रिपल आईटी के निदेशक प्रो मुकुल शरद सुतावाने ने जोर दिया कि खरीद प्रक्रिया में शामिल सभी व्यक्तियों को उनके कार्यों और निर्णयों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने संस्थान में इस मामले में मौजूद कार्य प्रणाली को पारदर्शी बताया। जहां हर एक व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाता है। पारदर्शिता और जवाबदेही के अलावा, उन्होंने सार्वजनिक खरीद में दक्षता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि खरीद प्रक्रिया में देरी और अक्षमता न केवल मूल्यवान संसाधनों को बर्बाद करती है, बल्कि भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के अवसर भी पैदा करती है।
डॉ रजत कुमार सिंह, अंशकालिक सीवीओ ने कहा कि प्रक्रिया में शामिल खरीद अधिकारियों और सरकारी अधिकारियों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण और विकास कार्यक्रमों की आवश्यकता है। उचित प्रशिक्षण व्यक्तियों को सार्वजनिक खरीद में सतर्कता के महत्व को समझने और भ्रष्टाचार की पहचान करने और उसे रोकने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस करने में मदद कर सकता है।
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हिन्दुस्थान समाचार / विद्याकांत मिश्र
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