बीएचयू में बनी प्रो. वासुदेव सिंह की पुण्यतिथि मनी, कविताओं से श्रद्धांजलि
वाराणसी, 27 जनवरी (हि.स.)। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के हिंदी विभाग के आचार्य रामचंद्र शुक्ला सभागार में शनिवार को प्रो. वासुदेव सिंह की पुण्यतिथि मनाई गई। विश्वविद्यालय एवं प्रो. वासुदेव सिंह स्मृति न्यास के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में प्रो. सिंह के कविताओं के जरिए उनके योगदान का जिक्र किया गया।
कवि और चिंतक निर्मला पुतुल ने कहा कि आदिवासी स्त्रियां मेहनती होने के साथ श्रम के सौंदर्य से अभिषिक्त होती हैं। उन्होंने कहा कि पुरुषों का संसार स्त्रियां ही निर्मित करती हैं। न्यास के प्रभारी डॉ हिमांशु शेखर सिंह ने कहा कि साहित्य में तमाम तरह के वाद, सोच और विचाराधारा के बावजूद हम बिना किसी भाव में बंधे हुए एक ही भाव साहित्यिक भाव से सभी विद्वानों को आमंत्रित करते रहे हैं। वासुदेव सिंह का मूल भाव साहित्य में भक्ति का था। भक्तिकालीन साहित्य पर इनकी पकड़ मजबूत थी। कार्यक्रम में पत्रिका नमन के नए अंक का लोकार्पण भी किया गया। पत्रिका का सम्पादन प्रो. श्रद्धा सिंह और डॉ हिमांशु शेखर सिंह ने किया है।
हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ अनूप ने बताया कि प्रो. वासुदेव कबीर को पढ़ाते हुए साखी आंखी ज्ञान की बातें करते थे। जो कबीर के यहां जो अनहद नाद था, वह निर्मला के यहां नगाड़े की तरह बजता हुआ दिखाई देता है। इनकी कविताओं में आदिवासी लोक के आमजन की समस्याएं वर्णित हैं। विशेष व्याख्यान का विषय प्रवर्तन आलोचक प्रो. प्रभाकर सिंह ने किया। अध्यक्षता बीएचयू की सामाजिक विज्ञान संकाय प्रमुख प्रो. बिंदा परांजपे ने किया। कार्यक्रम में आरा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो हरिकेश, बीएचयू महिला महाविद्यालय की प्रिंसिपल प्रो. रीता सिंह, प्रो. श्री प्रकाश शुक्ल, प्रो. आशीष त्रिपाठी आदि की उपस्थिति रही।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश
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