ओलावृष्टि के कारण गिरा दलहनी फसलों का उत्पादन, किसान परेशान
हमीरपुर, 11 मार्च (हि.स.)। लगातार दो माह तक पड़े कोहरे के साथ बारिश, ओलावृष्टि ने फसलों के उत्पादन विपरीत असर डाला है। इससे किसानों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। सबसे ज्यादा झटका दलहनी एवं तिलहनी फसलों में लगा है। इन फसलों से किसानों को लागत मूल्य भी नहीं निकल रहा है।
गत वर्ष 22 दिसंबर से शुरू हुआ कोहरे का कहर पूरे 50 दिन जारी रहा। इसका विपरीत असर मटर, मसूर, चना, अरहर, सरसों की फसलों पर पड़ा। कोहरे के कहर से अभी उबर भी नहीं पाए थे। इसी बीच जनवरी के अंत तथा फरवरी मार्च में कई राउंड मौसम गड़बड़ाने से बारिश एवं ओलावृष्टि ने कहर बरपा दिया। इससे दलहनी एवं तिलहनी फसले बुरी तरह से प्रभावित हुई।
किसान धनीराम साहू, राकेश सोनकर, प्रदीप गुप्ता, सुरेश कुमार, राजू यादव, पप्पू शर्मा ने बताया कि मटर, मसूर, सरसों की फसलों से लागत मूल्य नहीं प्राप्त हो रहा है। प्राकृतिक कहर का सीधा असर उत्पादन पर पड़ा है और उम्मीद के मुताबिक बेहद कम उत्पादन निकल रहा है। सर्वाधिक नुकसान मटर की फसल पर हो रहा है। पूरे क्षेत्र में इसका उत्पादन एक कुंटल से लेकर तीन कुंतल प्रति बीघा तक सिमट गया है।
यह उम्मीद से बहुत कम है। औसतन मटर का उत्पादन चार से छह कुंतल प्रति बीघा होता है। यह इस वर्ष नहीं हो रहा है। आधा उत्पादन होने तथा मटर का मौजूदा बाजार भाव कम होने से लागत मूल्य में आंच आने की पूरी संभावना है। यही कारण है कि किसान आत्मघाती कदम उठाने को मजबूर हो रहा है।
कृषि विशेषज्ञ रामसनेही साहू के अनुसार मौसम की मार से दलहनी तिलहनी फसलों का उत्पादन उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा है। यह सच है लेकिन जहां ओलावृष्टि से सब कुछ तबाह हो गया है, उनसे यह किसान काफी हद तक ठीक है क्योंकि उनके हाथ कुछ तो आ ही रहा है।
हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/मोहित
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