श्री काशी विश्वनाथ धाम में नृत्य नाटिका दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की प्रस्तुति
-मां कात्यायनी देवी दरबार में धाम से भेजी गई सोलह श्रृंगार सामग्री
वाराणसी, 08 अक्टूबर (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ धाम में शारदीय नवरात्र के छठे दिन मंगलवार शाम को शक्ति आराधना के महापर्व में नृत्य नाटिका दुर्गा दुर्गतिनाशिनी (महिषामर्दिनी स्तोत्र नृत्य) की जीवंत प्रस्तुति कलाकारों ने की। नृत्य नाटिका देख शिवभक्त हर-हर महादेव के साथ देवी का जयकारा भी लगाते रहे।
श्री काशी विश्वनाथ मन्दिर न्यास के संकल्प में धाम स्थित मन्दिर चौक में गौरी कलामंडप की ओर से डॉ. दिव्या श्रीवास्तव के निर्देशन में नृत्य नाटिका की प्रस्तुति हुई। नृत्य नाटिका का प्रारंभ दीपांजलि व गणेश वंदना हुआ। इसके बाद अर्धनारीश्वर, दुर्गा स्तुति, काली स्तुति, कार्तिकेय स्तुति के उपरांत महिषासुर की तपस्या और ब्रह्मा द्वारा वरदान, महिषासुर का अत्याचार, ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश द्वारा मां दुर्गा की उत्पति, नौ दुर्गा के विविध स्वरूपों के हाथों विभिन्न असुरों का संहार, मां दुर्गा एवं महिषासुर में युद्ध एवंं महिषासुर के वध आदि प्रसंगों का मंचन किया गया। नाटिका में शामिल कलाकारों एवं शक्ति स्वरूपा कन्याओं का सम्मान श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के डिप्टी कलेक्टर ने रुद्राक्ष माला एवं दुपट्टा प्रदान कर किया।
गौरतलब हो कि महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का शारदीय नवरात्रि में विशेष महत्व है। इस स्तोत्र का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है तथा जीवन की समस्याएं दूर होती हैं। मान्यता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से भय, क्रोध, अहंकार, जीवन की बाधाएं एवं चुनौतियों से छुटकारा मिलता है। शारदीय नवरात्र में ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने काशी में स्थित शक्तिपीठ माता विशालाक्षी एवं नवरात्रि के छंठे दिन की अधिष्ठात्री देवी माँ कात्यायनी देवी के सिद्धपीठ एवं धाम के सन्निकट स्थित राज-राजेश्वरी देवी को श्रृंगार सामग्री भगवान विश्वेश्वर को अवलोकित करा कर देवी दरबार में भेजा गया। काशी में ज्योतिर्लिंग तथा शक्तिपीठ सन्निकट स्थित हैं। इस सुयोग के दृष्टिगत मंदिर न्यास इस नवरात्रि से प्रारंभ कर प्रत्येक नवरात्रि पर्व पर देवी के समस्त सोलह श्रृंगार एवं पर्व वस्त्र का समर्पण ज्योतिर्लिंग पीठ से कर रहा है।
नृत्य नाटिका में इन कलाकारों ने लिया भाग
नृत्य नाटिका “दुर्गा दुर्गतिनाशिनी” की प्रस्तुति में दुर्गा : डॉ. दिव्या श्रीवास्तव बनी। इसी तरह महिषासुर : बृजमोहन यादव, सूत्रधार : तुषार वर्मा, सौरभ त्रिपाठी, बटुकभैरव : निमिषा, नौ देवीः प्रार्थना सिंह, दिपाली, ईशा, दिव्यांका, ज्योति, निहारिका, सेजल, कृतिका बनीं।
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हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
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