प्रतापगढ़ के लाल शहीद रामकुमार का राजकीय सम्मान के साथ किया गया अंतिम संस्कार
प्रतापगढ़, 06 अप्रैल (हि.स.)।प्रतापगढ़ के लाल शहीद रामकुमार का शव रविवार को लालगंज कोतवाली स्थित बेल्हा गांव पैतृक आवास पर पहुंचते ही लोगों की आंखें नाम हो गई और हजारों की संख्या में मौजूद लोगों ने वीर सपूत को अंतिम श्रद्धा सुमन अर्पित किया और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया ।
शहीद का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ मानिकपुर स्थित गंगा घाट पर किया गया जहां वायु सेवा के वरिष्ठ अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे साथ ही हजारों की संख्या में लोग शहीद के अंतिम संस्कार में मौजूद रहे।अभी एक सप्ताह पहले ही शहीद राम कुमार अपने पत्नी व दोनों बच्चों के साथ गांव आए थे और एक सप्ताह बाद ही उनका शव गांव पहुंचते ही सभी की आंखे नम हो गईं। कांग्रेस के राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने शहीद के आवास पर पहुंचें व श्रद्धांजलि अर्पित किया।
सोशल मीडिया पर रामकुमार की एक तस्वीर ने हर किसी की आंखें नम कर दीं। यह तस्वीर भारतीय क्रिकेट के सितारे महेंद्र सिंह धोनी के साथ उनकी है। जी हां, यह वही रामकुमार तिवारी थे, जिन्होंने धोनी को भी वायुसेना में पैराशूट प्रशिक्षण दिया था।
धोनी, जो खुद मानद लेफ्टिनेंट कर्नल हैं, के साथ उनकी यह तस्वीर अब लोगों के दिलों में बस गई है। सोशल मीडिया पर यह तस्वीर वायरल हो रही है, और लोग लिख रहे हैं एक सच्चा साहसी, जिसने न सिर्फ जवानों को, बल्कि धोनी जैसे नायकों को भी उड़ान भरी कला सिखाई।
41 साल का यह जांबाज, जो आगरा में वायुसेना पैराट्रूपर्स प्रशिक्षण स्कूल में वारंट अफसर और प्रशिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा था, एक दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया। पैराशूट की रस्सियां उलझ गईं, और वह 19 हजार फीट की ऊंचाई से सीधे जमीन पर आ गिरा। सिर पर गहरी चोट और बहता खून उनकी सांसों को निगल गया। अब उनके पीछे सिर्फ उनकी वीरता की कहानियां और यादें बची हैं, जो हर दिल को छू रही हैं।
रामकुमार तिवारी का जीवन आसमान की तरह ऊंचा था। वे नन्हे जवानों को पंख दे रहे थे, उन्हें आसमान में उड़ने की कला सिखा रहे थे। लेकिन नियति का खेल देखिए, वही आसमान, जिसे वे अपना घर मानते थे, आज उन्हें अपने आगोश में ले गया। 6 अप्रैल की सुबह, जब वे प्रशिक्षण दे रहे थे, तकनीकी खामी ने उनके पैराशूट को खुलने से रोक दिया। नीचे खड़े साथी उनकी ओर दौड़े, लेकिन कोई चमत्कार न हुआ। वह वीर धरती पर गिरा, और उसकी सांसें थम गईं।
बेलहा गांव का यह सपूत अब सिर्फ यादों में रह गया। उनकी पत्नी प्रीति, दो मासूम बेटे यश और कुश, और माता-पिता रमाशंकर तिवारी व उर्मिला का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी को जैसे ही यह खबर मिली, वह बेसुध हो गई। बेटों की आंखों से बहते आंसुओं ने हर किसी का कलेजा चीर दिया। पिता रमाशंकर ने कांपते होंठों से कहा, मेरा बेटा सात दिन पहले ही हंसता-मुस्कुराता ड्यूटी पर गया था। कौन जानता था कि वह अब कभी लौटेगा नहीं।
रामकुमार तिवारी की शहादत ने न सिर्फ उनके परिवार को, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। उनकी वीरता, उनका समर्पण, और धोनी संग उनकी वह तस्वीर अब हर किसी के जेहन में बस गई है। वह आसमान का सितारा था, जो धरती पर गिरा, लेकिन उसकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी।
आगरा में स्काईडाइविंग ट्रेनिंग सेशन के दौरान 'डेमो ड्रॉप' के दौरान पैराशूट नहीं खुलने से शनिवार को भारतीय वायु सेना के 41 वर्षीय राम कुमार तिवारी उर्फ आरके तिवारी की मौत हो गई है। स्काईडाइविंग के दौरान उन्होंने आसमान में हेलिकॉप्टर से छलांग लगाई थी लेकिन पैराशूट नहीं खुलने से वो सीधे जमीन पर गिर पड़े। उनके साथी उन्हें फौरन अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें 2 घंटे में मृत घोषित कर दिया।
हिन्दुस्थान समाचार / दीपेन्द्र तिवारी