अन्नकूट पर्व पर 21 कुंतल मिष्ठान्न का चढ़ा बाबा विश्वनाथ को प्रसाद

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अन्नकूट पर्व पर 21 कुंतल मिष्ठान्न का चढ़ा बाबा विश्वनाथ को प्रसाद


अन्नकूट पर्व पर 21 कुंतल मिष्ठान्न का चढ़ा बाबा विश्वनाथ को प्रसाद


-56 प्रकार के व्यंजनों से सजा बाबा का दरबार

वाराणसी, 14 नवम्बर (हि.स.)। श्री काशी विश्वनाथ धाम में मंगलवार को अन्नकूट का पर्व धूमधाम से मनाया गया। श्री काशी विश्वनाथ दरबार को मध्यान्ह भोग आरती के पश्चात पंच बदन रजत प्रतिमा स्थापित की गई। इसके बाद मंदिर के पुजारी ने भव्य आरती उतारी। आरती के पश्चात बाबा को 21 कुंतल से निर्मित 56 भोग अर्पित किया गया। इस दौरान बाबा के दरबार में दर्शन करने के लिए देर शाम तक श्रद्धालु उमड़े रहे। श्रद्धालु बाबा की एक झलक पाने के लिए व्यग्र दिखे। अन्नकूट पर्व पर हर साल की भांति इस वर्ष भी विभिन्न प्रांतों से आए लोगों ने बाबा विश्वनाथ का दर्शन किया और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। वहीं, देर शाम आरती के पश्चात 5 दिनों से चल रहे माता अन्नपूर्णा के दरबार में अन्न और धन के वितरण का कार्य भी संपन्न हो गया।

मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि अन्नकूट का पर्व श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें पिछले कई दिनों से मंदिर में मिठाइयों और व्यंजनों को बनाने का कार्य शुरू हो जाता है। दोपहर की भोग आरती के पश्चात सभी व्यंजन बाबा को अर्पित किया जाता है और अगले दिन से इस प्रसाद के वितरण का कार्य मंदिर द्वारा किया जाता है। इस बार मंदिर का प्रसाद मंदिर के हेल्प डेक्स काउंटर से भी रसीद कटा कर प्राप्त किया जा सकता है।

-दीक्षित मंत्र से किया बाबा की चल रजत प्रतिमा का पूजन

काशी के सभी छोटे-बड़े देवालयों में अन्नकूट का पर्व परंपरागत ढंग से मनाया गया। देवालयों में मिष्ठानों और पकवानों से सजाई गई अद्भुत झांकियों के दर्शन को लोग उमड़ पड़े। आस्थावानों के लिए मुख्य केंद्र काशी विश्वनाथ मंदिर रहा। काशी विश्वनाथ मंदिर में अन्नकूट विधानपूर्वक हुआ। परंपरा के अनुसार टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास से ले जाकर भगवान शिव परिवार की रजत चल प्रतिमा मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित की गई। नाटकोट क्षेत्रम् के पारंपरिक वाद्ययंत्रों की गूंज व डमरूवादन के बीच बाबा की चल रजत प्रतिमा विश्वनाथ मंदिर ले जाई गई। वहां गर्भगृह में प्रतिमा प्रतिष्ठित करने के उपरांत महंत डॉ कुलपति तिवारी ने दीक्षित मंत्र से बाबा का पूजन किया और अन्नकूट का भोग लगाया। सायंकाल बाबा की चल रजत प्रतिमा पुन: महंत आवास पहुंचा दी गई। उसके बाद अन्नकूट की झांकी दर्शन श्रद्धालुओं को मिलता रहा।

हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/आकाश

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