नेताजी के वायदों में उलझी जनता बोली 'रेल फाटक नहीं तो वोट नहीं'
भदोही लोकसभा में सरायकंसराय गांव के लोग नहीं डालेंगे 25 मई को वोट
भदोही, 08 मई (हि.स.)। भदोही की चुनावी फ़िजा में शोर है। राजनीतिक दलों की रैलियों में गगनभेदी जिंदाबाद है। गरीब है,अमीर,जाति है धर्म है,आरक्षण है,विकास का सपना है। लेकिन बस! सिर्फ़ झूठे कसमें और वायदे हैं,मुद्दों की जमीन खाली है। विकास को लेकर लोगों में एक पीड़ा है नेताओं के खिलाफ खींझ है। जनता अब खुद निर्णय ले रही है की उसे कहां और किसके साथ खड़ा होना है। आजादी के 75 सालों में जब रेल फाटक की मांग पूरी नहीं हुईं तो जनता का भरोसा उठ गया और लोकतंत्र के सबसे बड़े महापर्व में सहभागिता न करने का गांव की जनता ने फैसला कर लिया।
उत्तर प्रदेश का जनपद भदोही खूब सूरत कालीनों के लिए दुनिया में विख्यात है। हजारों करोड़ के कालीन का निर्यात यहां से होता है। लेकिन यहां का विकास बदहाल है और मुद्दों की जमीन खाली है। नेता सिर्फ चुनाव के समय गांव-गली में दिखते हैं और जीत के बाद फिर जनता के जमीनी मसलों से मुंहमोड़ लेते हैं। बुधवार को गांव वालों ने पूरे गांव और बस्ती में रैली निकाल कर यह नारा दिया की 'फाटक नहीं तो वोट नहीं'।
भदोही जिला मुख्यालय से तक़रीबन 25 किमी उत्तर-पश्चिम स्थिति सरायकंसराय गांव रेल समपार का निर्माण नहीं हो पाया। गांव के जिम्मेदार लोग सांसद, रेलमंत्री से कई बार मिलकर अपनी समस्या को अवगत कराया, लेकिन समाधान जब नहीं निकला तो 'रेल फाटक नहीं तो वोट' का फैसला करना पड़ा। यह जमीनी सच्चाई है की रेल फाटक न होने से गांव के लोग बहुत पीड़ित हैं। गांव की बड़ी आबादी 25 मई को वोट नहीं करेगी पूर्वांचल में सातवें चरण में वोट डाले जाएंगे।
क्या है समस्या
भदोही जनपद का सरायकंसराय गांव सीमावर्ती इलाका है। यह जौनपुर और भदोही की सीमा का अंतिम गांव है। बड़ी आबादी वाला गांव है। वाराणसी-लखनऊ रेलखंड के सुरियावां-सरायकंसराय रेल स्टेशन के मध्य स्थिति है। गांव के बीच से रेल लाइन गुजरती है जिसकी वजह से गांव की आबादी दो खंड में विभाजीत हो गईं है। बारिश के मौसम में जब वरुणा नदी में पानी बढ़ता है तो गांव का संपर्क जौनपुर से टूट जाता है, क्योंकि नदी पर कोई पुल नहीं है। दूसरी तरफ यह रेल समस्या है। पहले सिंगल रेल लाइन थीं तो गांव के लोग जोखिम लेकर ट्रैक पार हो जाते थे, लेकिन अब डबल होने से यह समस्या और विकराल हो गई है।
गांव की क्या है समस्या
गांव के छात्र-छात्राओं को उच्चशिक्षा के लिए दुर्गागंज, सुरियावाँ और जिला मुख्यालय ज्ञानपुर, भदोही जाने के लिए 10 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। जिसकी वजह से पढ़ाई में जहां दिक्क़त है वहीं जीवन भी असुरक्षित है। इमरजेंसी में लोग रेल फाटक न होने से अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। गांव की खेती दो हिस्सों में बट गईं है, जिसकी वजह से जुताई-बुआई में दिक्क़त होती है। मवेशियों के लिए भारी समस्या है। रेल फाटक न होने से कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। दूसरी तरफ दूसरे रास्ते से जहां दूरी बढ़ जाती है वहीं ग्रामीणों को वाहनों का अधिक किराया भी देना पड़ता है।
क्या बोले ग्रामप्रधान
सरायकंसराय गांव के मुखिया यानी ग्राम प्रधान नन्दलाल मिश्र ने बताया की हमारा गांव 75 साल से इस समस्या को झेल रहा है। गांव के लोग कितने परेशान हैं यह वहीं जान सकते हैं। हम इस समस्या को लेकर रेलमंत्री मनोज सिन्हा, भदोही सांसद रमेश बिंद पूर्व सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त और रेल अधिकारियों लिखित रूप से अवगत कराया और व्यक्तिगत समस्या भी बताई, लेकिन हमारी माँग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पूर्व की केंद्रीय और राज्य की सरकारों ने भी हमारी समस्या नहीं सुनी। गांव वालों की मांग पर आम सहमति से मंगलवार रात में गोमतेश्वर मंदिर पर गांव वालों की सार्वजनिक बैठक हुईं जिसमें वोटिंग न करने का फैसला करना पड़ा। इस बार हम झूठे वादे पर विश्वास नहीं करेंगे। गांव के लोग एक जुट हैं हमारी समस्या का निदान नहीं हुआ इसलिए 'रेल फाटक नहीं तो वोट नहीं' की मांग जायज है हम गांव के साथ हैं।
हिन्दुस्थान समाचार /प्रभुनाथ
/राजेश
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