वाराणसी-चंदौली को जोड़ने के लिए नए सिग्नेचर ब्रिज का रास्ता साफ, केन्द्र सरकार ने दी मंजूरी
—प्रस्तावित सिग्नेचर ब्रिज का डीपीआर भी फाइनल, अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपये, चार वर्षो में बनकर हो जाएगा तैयार
वाराणसी,16 अक्टूबर(हि.स.)। वाराणसी और चंदौली जिले के पीडीडीयूनगर रेलवे स्टेशन को जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कैबिनेट ने गंगा नदी पर एक नए रेल-सह-सड़क सेतु(सिग्नेचर ब्रिज) के निर्माण की अनुमति दे दी है। प्रस्तावित सिग्नेचर ब्रिज का डीपीआर भी फाइनल कर दिया गया है। सरकार ने वाराणसी-पं.दीन दयाल उपाध्याय मल्टीट्रैकिंग के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 2,642 करोड़ रुपये (लगभग) है और यह चार वर्षों में पूरी होगी। यह परियोजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो इस क्षेत्र में व्यापक विकास के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगी। जिससे उनके रोजगार,स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
गौरतलब हो कि 150 साल के लिए सिग्नेचर ब्रिज को डिजाइन किया गया है। सिग्नेचर ब्रिज निर्माण के दौरान जो नींव (फाउंडेशन) होगा, वह नदी के सतह से 120 फीट गहरा होगा। उसके ऊपर पीलर और फिर ब्रिज होगा। इकोनिक स्ट्रक्चर बनेगा। काशी राजघाट स्थित काशी रेलवे स्टेशन के द्वितीय प्रवेश द्वार से यह ब्रिज नजदीक होगा। एक किलो मीटर से अधिक लंबा यह सेतु बनेगा। उत्तर प्रदेश के दो जिलों को कवर करने वाली इस परियोजना से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 30 किलोमीटर की वृद्धि होगी। रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने चार लेन का रेलवे ट्रैक और सिक्सलेन की ऊपर सड़क का ब्लू प्रिंट भी साझा किया है। राजघाट स्थित 137 साल पुराने मालवीय पुल के 50 मीटर समांतर बनने वाले इस सेतु से काशी, चंदौली, बिहार, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का सीधा जुड़ाव होगा। नए सेतु पर 100 की रफ्तार से ट्रेनें और मालगाड़ी चलेगी।
गौरतलब हो कि वाराणसी के कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने उत्तर रेल के अधिकारियों, नगर निगम, जलकल, बिजली, वीडीए, पीडब्ल्यूडी, कमिश्नरेट पुलिस के साथ बैठक की थी। बैठक में तय हुआ था कि सभी विभाग आपसी समन्वय के जरिये पुल निर्माण में सहयोग करें।
वाराणसी रेलवे स्टेशन रेलवे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
वाराणसी रेलवे स्टेशन, भारतीय रेलवे का एक महत्वपूर्ण केन्द्र है। यह रेलवे स्टेशन तीर्थयात्रियों, पर्यटकों एवं स्थानीय आबादी के लिए एक प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करता है। यात्री और माल ढुलाई, दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण वाराणसी-पं. दीन दयाल उपाध्याय (डीडीयू) जंक्शन मार्ग कोयला, सीमेंट एवं खाद्यान्न जैसे सामानों के परिवहन के साथ-साथ बढ़ते पर्यटन एवं उद्योग जगत की मांगों को पूरा करने में अपनी भूमिका के कारण खास स्थान है। दोनों स्टेशनों पर इस नए सेतु से भीड़ कम होगी। इस रेल खंड में भीड़भाड़ से राहत के अलावा, प्रस्तावित खंड पर 27.83 एमटीपीए माल ढुलाई का अनुमान है। यह परियोजना मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी से संबंधित पीएम-गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का परिणाम है, जो समन्वित योजना निर्माण के माध्यम से संभव हुआ है और लोगों, वस्तुओं एवं सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।
---------------
हिन्दुस्थान समाचार / श्रीधर त्रिपाठी
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।