भारत-नेपाल सीमा पर 4,000 मदरसों की कब होगी जांच पूरी
लखनऊ, 18 नवंबर (हि.स.)। भारत और नेपाल सीमा पर मदरसों का जाल पिछले चार दशकों में बिछता गया है। करीब 4,000 मदरसे ऐसे हैं जिन पर विदेशों से पैसा लेने का आरोप है। लेकिन वे इसका हिसाब दे पाने में नाकाम रहे हैं। हांलाकि उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के मदरसों को मिलने वाले विदेशी चंदे की जांच करने का फैसला किया था और इसके लिए जांच कमेटी भी बना दी गई थी।
1990 के दशक से आज तक भारत-नेपाल सीमा पर मौजूद मदरसे किसी न किसी कारण से चर्चा में रहे हैं। कभी इन पर आतंक फैलाने का आरोप लगा है तो कभी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के संचालन का आरोप लगता रहा है। ताजा मामला विदेशी चंदे को लेकर है, जिसकी जांच के लिए राज्य सरकार ने कमेेटी का गठन किया है। भारत-नेपाल सीमा पर मौजूद तकरीबन 4,000 मदरसे अब राज्य सरकार के जांच के राडार पर हैं। इन मदरसों पर आरोप है कि इनमें से ज्यादातर विदेशी फंड लेकर संचालित किए जाते हैं लेकिन इस फंड का हिसाब दे पाने में वे नाकाम रहे हैं। इसकी जांच के लिए एडीजी, एटीएस मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। जिसमें एसपी साइबर क्राइम त्रिवेणी सिंह और निदेशक अल्पसंख्यक कल्याण जे रीभा को भी शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल मदरसा सर्वेक्षण में जब सीमावर्ती इन मदरसों से उन्हें मिल रही धनराशि का हिसाब मांगा गया तो वे इसे दे पाने में असमर्थ थे। इसलिए राज्य सरकार ने एसआईटी के माध्यम से जांच कर इन मदरसों को मिलने वाले धन के स्रोत की जांच का फैसला लिया गया है। जांच कमेटी मदरसों के खाते की जांच करेगी जिसमें यह देखा जाएगा कि विदेश से प्राप्त फंड को कैसे खर्च किया जा रहा है।
किन बातों की होगी जांच
एसआईटी सभी मदरसों को नोटिस दे रही है। जिसमें विदेशी मुद्रा अर्जन खातों (ईईएफसी) में हुए लेनदेन की जानकारी मांगी जा रही है। यह प्रक्रिया पिछले दो माह से शुरू किया गया है। नोटिस के बाद ऐसे मदरसों की लिस्ट तैयार की जाएगी जिनको विदेशों से फंड मिल रहा है। साथ ही यह भी जांच के दायरे में होगा कि विदेशी चंदे को ये मदरसे किस तरह और किन कार्यो में प्रयोग कर रहे हैं। किन देशों से किन मदरसों को कब और कितनी फंड दिया गया है। जांच के दायरे में यह भी होगा कि विदेशों से प्राप्त धन का प्रयोग धर्मपरिवर्तन या आतंकी गतिविधियों में तो नहीं किया जा रहा है।
इन जिलों में हैं मदरसों का मकडज़ाल
भारत-नेपाल सीमा पर महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर में हजारों की तादात में मदरसे मौजूद हैं। जिन पर राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के संचालन का आरोप लगता रहा है। आरोप है कि सर्वाधिक मदरसे इन्हीं जिलों में हैं जो विदेशों से चंदे लेते हैं।
उत्तर प्रदेश में कितने हैं मदरसे
उत्तर प्रदेश में कुल 16,500 से अधिक मदरसे हैं। इनमें 560 को अनुदान दिया जाता है जबकि पिछले साल हुए मदरसों की जांच में 8449 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त मिले थे। उस समय प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया था कि गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को मान्यता लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। वर्तमान में मदरसों की जांच का फैसले पर फिर से सवाल उठने लगे हैं कि पिछले साल हुई जांच का क्या परिणाम निकला। हांलाकि वर्तमान में मदरसों के विदेशी फंड की जांच के लिए गठित एसआईटी को कोई समय सीमा नहीं देना भी जांच की गंभीरता पर सवाल खड़े करता है। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारी हैदर अब्बास कहते हैं कि प्रत्येक मदरसा राष्ट्रविरोधी नहीं हो सकता लेकिन फंड की जांच से स्थिति स्पष्ट होगी और मदरसा शिक्षा बोर्ड को अपना काम करने में आसानी होगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ मार्कण्डेय पाण्डेय/बृजनंदन
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