आयुर्वेद में मासिक धर्म को शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना गया : डॉ. हेतल
गोरखपुर, 17 अगस्त (हि.स.)l राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में प्रसूति तंत्र एवं स्त्री रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हेतल एच दवे ने कहा कि आयुर्वेद में माहवारी या मासिक धर्म को एक शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में देखा गया है। माहवारी के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं में चिड़चिड़ापन, उदासी और तनाव जैसे मानसिक अस्थिरता के समय आयुर्वेद सम्मत आहार, योग, ध्यान और सृजनात्मक कार्यों से अशांत मन को संतुलित किया जा सकता है।
डॉ. हेतल शनिवार को आयुर्वेद और रजस्वलाचर्या विषय पर आयोजित व्याख्यान को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रजस्वलाचर्या परंपरा प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में विस्तृत रूप से वर्णित है, जिसमें माहवारी (रजस्वला) के दौरान महिलाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की व्याख्या है। रजस्वलाचर्या का अर्थ है, माहवारी के समय में महिला द्वारा अनुसरण की जाने वाली जीवनशैली और आहार नियम। आज के व्यस्त और तनावपूर्ण जीवन में रजस्वलाचर्या के सिद्धांत न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक हो सकते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन को भी बनाए रखने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। डॉ. हेतल ने सभी छात्राओं से कहा कि वे एक वॉलंटियर के रूप में आयुर्वेद के रजस्वलाचर्या को बीस-बीस महिलाओं तक पहुंचाकर महिलाओं में निहित मासिक धर्म को लेकर संकोच के भाव को तोड़ें।
हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय / शरद चंद्र बाजपेयी / Siyaram Pandey
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