अटाला मस्जिद प्रकरण की पोषणीयता व क्षेत्राधिकार पर आदेश दो सितंबर को
जौनपुर,21 अगस्त(हि.स.)। अटाला मस्जिद को प्राचीन अटाला देवी मंदिर बताते हुए इसमें हिंदुओं को पूजन-कीर्तन का अधिकार देने की मांग को लेकर दाखिल वाद की सुनवाई बुधवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में सुनवाई योग्य है या नहीं (पोषणीयता) और इसके क्षेत्राधिकार को लेकर दोनों पक्षों की बहस पूरी हो जाने के बाद अदालत ने आदेश के लिए दो सितंबर की तारीख तय की है।
सुनवाई के दौरान वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के प्रथम महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने अपनी रिपोर्ट में अटाला मस्जिद को अटाला देवी मंदिर बताया था। इसका निर्माण कन्नौज के राजा जयचंद राठौर ने करवाया था। अंग्रेज अधिकारी जेपी हेविट और ईवी हावेल ने अटाला मस्जिद की शिल्पकला को हिंदू शिल्पकला माना है। एएसआइ की रिपोर्ट में भी अटाला माता मंदिर की तस्वीरों में शंख, त्रिशूल, पटदल कमल, गुड़हल के फूल, वंदनवार आदि स्पष्ट दिखाई देते हैं । जो हिंदू शिल्पकला का हिस्सा है। अटाला मस्जिद की जमीन राजस्व अभिलेखों में जामा मस्जिद के नाम दर्ज है। इस मामले में गुरुवार को हिन्दुस्थान समाचार प्रतिनिधि से बात करते हुए वाद दायर करने वाले राम सिंह ने बताया कि यह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। यहां प्रसिद्ध अटाला देवी मंदिर था जिसे मुगल काल में तोड़कर मस्जिद बनाया गया है। मंदिर होने के सभी साक्ष्य अभी भी मौजूद हैं।इसे पूजा-अर्चना के लिए हिंदू महासभा को सौंपा जाए, जिससे माता की पूजा-अर्चना की जा सके।
हिन्दुस्थान समाचार / विश्व प्रकाश श्रीवास्तव / Siyaram Pandey
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