विपत्ति में साथ दे वही सच्चा मित्र : हेमलता शास्त्री
लखनऊ, 08 अप्रैल(हि.स.)। गोमती तट स्थित खाटूश्याम मन्दिर में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का सोमवार को भक्त सुदामा प्रसंग, व्यास पूजन और भण्डारा के साथ समापन हो गया। देवी हेमलता शास्त्री ने कहा कि मित्र के साथ कभी धोखा नहीं करना चाहिए। दीन-हीन सुदामा जब अपने मित्र श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचे तो सुदामा को देख भगवान श्रीकृष्ण के आंसू बहने लगे। मित्रता हो तो कृष्ण-सुदामा जैसी, प्रभु ने सुदामा को महल में सिंहासन पर बैठाकर अपने आंसुओं से चरणों को धोया।
उन्होंने कहा कि कृष्ण व सुदामा की मित्रता का अनोखा और आदर्श उदाहरण है। इसमें छोटे-बड़े का भेद नहीं है, जो विपत्ति में साथ दे, वही सच्चा मित्र है। मित्र को चाहिए कि वे अपने मित्र के दुख-दर्द को बिना बताए ही समझ जाए एवं अपनी सामर्थ्य के अनुसार मदद करे। मित्र की मदद ऐसे करें कि उसके स्वाभिमान को ठेस नहीं लगे, जैसे भगवान श्रीकृष्ण ने अपने घर आए मित्र सुदामा को गले लगाया एवं उनके पैर धोकर आसन पर बैठाया। कथा के अंत में आयोजक धूनीराम जगदीश अग्रवाल परिवार ने व्यास पूजन के साथ विदाई की।
इस अवसर पर भारतीय लोक शिक्षा परिषद एकल अभियान के राष्ट्रीय प्रमुख माधवेंद्र, गिरिजाशंकर अग्रवाल, आशीष अग्रवाल, जयप्रकाश गोयल, मुकेश गोयल, सुनील अग्रवाल, अंशु अग्रवाल, विनीता अग्रवाल, मानस अग्रवाल, राघव, राम, हर्षित, पार्थ, नन्दिनी, देवांश सहित भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/जितेन्द्र/राजेश
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