एसजीपीजीआई में सर्वोत्तम चिकित्सा शिक्षा मिलनी चाहिए : ब्रजेश पाठक

एसजीपीजीआई में सर्वोत्तम चिकित्सा शिक्षा मिलनी चाहिए : ब्रजेश पाठक
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एसजीपीजीआई में सर्वोत्तम चिकित्सा शिक्षा मिलनी चाहिए : ब्रजेश पाठक


-एसजीपीजीआई ने मनाया 40वां स्थापना दिवस

लखनऊ, 14 दिसम्बर (हि.स.)। राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) का 40वां स्थापना दिवस समारोह गुरुवार को मनाया गया। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संस्थान के सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं को उनके अनुकरणीय शोध कार्य के लिए और सर्वश्रेष्ठ छात्रों को पुरस्कार वितरित किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि एसजीपीजीआई को देश भर में सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक बनने के लिए सर्वोत्तम उपचार और सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण किसी भी देश के लिए अभिशाप है और इसे दूर करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

राज्य मंत्री, चिकित्सा शिक्षा मयंकेश्वर शरण सिंह ने स्थापना दिवस पर स्टाफ को बधाई देते हुए कहा कि एसजीपीजीआई परिवार की कड़ी मेहनत से संस्थान तेजी से आगे बढ़ेगा।

स्थापना दिवस के वक्ता, जन स्वास्थ्य सहयोग (सार्वजनिक स्वास्थ्य सहायता समूह) के संस्थापक सदस्य डॉ. रमन कटारिया ने छत्तीसगढ़ में कुपोषित बच्चों वाले दयनीय स्वास्थ्य ढांचे के वास्तविक जीवन के अनुभव को साझा किया।

डॉ. रमन कटारिया ने बताया कि मोबाइल क्लीनिकों में और रोगी स्वास्थ्य सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं और बच्चों की जांच, निदान, उपचार और अनुवर्ती कार्रवाई की गई। समय के साथ, इससे शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर और नवजात मृत्यु दर में कमी आई।

सार्वजनिक स्वास्थ्य समूह ने कैंसर, कुपोषण, प्रसवकालीन देखभाल, तपेदिक, मधुमेह और उच्च रक्तचाप के प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर और गहनता से काम किया है, जिसका उद्देश्य गरीबों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को सस्ता और सुलभ बनाना है। उन्होंने कामकाजी माता-पिता के लिए प्ले ग्रुप फुलवारी के बारे में भी विस्तार से बताया।

स्थापना दिवस पर हुआ रक्तदान

संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमान ने संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की। स्थापना दिवस समारोह सुबह ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर के साथ भर्ती मरीजों को पोषण पैक और स्वस्थ कार्ड के वितरण के साथ शुरू हुआ। एसजीपीजीआई स्टाफ के कुछ सदस्य नियमित रक्तदाता हैं। इस निस्वार्थ कार्य का सम्मान करने के लिए प्रत्येक दाता को एक प्रमाण पत्र और पट्टिका दी गई।

अमृत वाटिका में लगाये गये औषधीय पौधे

एसजीपीजीआई परिसर में अमृत वाटिका में जेरेनियम, तुलसी, अश्वगंधा, सर्पगंधा, पामारो, सतावर, पीपली, स्टीविया और ब्राह्मी सभी औषधीय पौधे लगाए गए ताकि सुंदर हरे-भरे माहौल को और बढ़ाया जा सके।

हिन्दुस्थान समाचार/बृजनन्दन/दिलीप

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