वाराणसी में भाईदूज पर्व पर बहनों ने भाइयों के लम्बी उम्र के लिए रखा व्रत, गोधना पूजा
वाराणसी,15 नवम्बर (हि.स.)। कार्तिक शुक्ल पक्ष द्वितीया (यम द्वितीया) पर बुधवार को धर्म नगरी काशी में भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भाई दूज उल्लास पूर्ण माहौल में मनाया गया। पर्व पर बहनों ने अपने भाइयों की लम्बी उम्र के लिए सामूहिक रूप से गोधन कूटने की रस्म निभाई। गोधना कूटने के लिए महिलाओं ने समूह में बैठ कर रूई में बेसन लगा कर लंबी मालाएं बनाईं। मान्यता यह है कि रूई और बेसन की माला जितनी लंबी होगी। भाई की उम्र उतनी ही लंबी होगी।
परम्परानुसार बहनों ने टोटका गूंगभटकइया के कांटे को भी अपनी जीभ पर स्पर्श किया और भाइयों को श्राप देकर उनके लम्बी आयु और श्री समृद्धि के लिए यमराज से प्रार्थना किया। स्कंद पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण दोनों में ही इस पर्व की महत्ता का वर्णन है। इसके पूर्व बहनों ने भाई से रिश्ते को प्रगाढ़ बनाने वाले इस पर्व पर व्रत रह अपने मायके या फिर ससुराल में आसपास की गली, मोड़ या फिर घर के पास साफ-सफाई कर गाय के गोबर से आयुचक्र बनाया। फिर नहा धोकर सजने सवंरने के बाद शुभ मुहुर्त में पूजन की थाल में घरिया रख उसमें चूड़ा मिष्ठान ओर अन्य पकवान भरा।
फिर गोधना पूजन स्थल पर मोहल्ले, गांव, टोला की महिलाओं और घर की बुर्जुग महिलाओं के साथ पंहुचीं। आयु चक्र में गूंग भटकइया और पूजन सामग्री रखा। सामूहिक रूप से पूजन अर्चन करने के साथ कथा सुनी। भाइयों के सिर पर रोली चावल मिला अक्षत का तिलक लगा घरिया और स्वादिष्ट पकवान खिलाया। कहीं-कहीं एक दिन बाद भी बहनें भाई को घरिया खिलाती हैं। भाइयों ने भी अपने क्षमता के अनुसार बहनों को नेग देकर सम्बन्धों को निभाने का सकंल्प लिया।
इस सम्बन्ध में एक पौराणिक मान्यता है कि मृत्यु के देवता, यमपुरी के स्वामी यमराज एक बार अपनी बहन यमुना से मिलने पहुंचे। जहां यमुना ने उनका आदर सत्कार किया। बहन यमुना के प्रेम और आदर से प्रसन्न होकर यमराज ने अपनी बहन यमुना से वरदान मांगने के लिए कहा। इस पर यमुना ने कहा कि आज के दिन जो भी भाई बहन यमुना में स्नान करके तिलक लगाकर इस पर्व को मनाएंगे, उन्हें मृत्यु पश्चात यमलोक नहीं जाना पड़े। इस पर यमराज ने तुरंत ही तथास्तु कहते हुए उन्हें वरदान दे दिया। इसी दिन को भाई दूज के नाम से मनाया जाता है। इस कथा के आधार पर ही पर्व को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है।
पूजन के बाद बहनें अपने भाई के ललाट पर रोली एवं अक्षत से तिलक करके उसके उज्ज्वल भविष्य की कामना करती हैं। इसके पश्चात् बहनें भाई के हाथों में पानी छोड़ते हुए गंगा जमुना को यमी पूजे यमराज को सुभद्रा पूजे कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े यह मंत्र बोलते हुए बहनें अपने भाई को आशीर्वचन देती हैं। सच्चे मन से की गई बहन की इस प्रार्थना को यमराज स्वीकार भी करते हैं। भाई बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। गौरतलब हो कि इस बार काशी में भाई दूज पर्व दो दिन मनाया गया। कार्तिक शुक्ल द्वितीया तिथि 14 नवम्बर दोपहर 02.36 बजे से शुरू हुई और इसका समापन 15 नवम्बर को दोपहर 01.47 बजे हुआ। उदिया तिथि के चलते भाई दूज का ज्यादातर लोगों ने बुधवार को मनाया। तो हजारों महिलाओं ने मंगलवार को ही भाईदूज पर्व मनाया है।
हिन्दुस्थान समाचार/श्रीधर/दिलीप
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