सिद्धेश्वर महादेव मन्दिर में स्वामी राम शंकर दास ने राम बनवास की कथा सुनाई
गोरखपुर, 20 अक्टूबर (हि.स.)। चरगांवा निकट रेल विहार के सिद्धेश्वर महादेव मन्दिर में आयोजित श्रीराम कथा के पांचवे दिवस कथा वाचक डिजिटल बाबा स्वामी राम शंकर महाराज ने श्रीराम जी के वनवास की कथा सुनाते हुये कहा जीवन में प्रत्येक व्यवहार धर्मानुसार होना चाहिए स्वार्थ के वशीभूत होकर यदि अधर्म पूर्वक हम कुछ लाभ प्राप्त कर लेते हैं तो कालांतर में उसका प्रतिफल कभी भी सुखद नहीं होता।
वनवास के दौरान सीताहरण के उपरान्त सीता जी के विरह में भगवान श्रीराम फूट फूट कर रुदन करते हुऐ पेड़ पौधो लताओ से सीता जी के बारे में पूछते है क्या आपने हमारी सीता को अपने देखा, खोजते खोजते जटायु से जब राम जी मिलते है जो जटायु सीता जी को बचाने में बुरी तरह घायल हो गये है भगवान जटायु से कहते है परहित बस जिन्ह के मन माही तिन्ह कहुं जग दुर्लभ कछु नाही जो लोग परोपकार में अपना जीवन लगाते है उनको इस संसार मे कुछ भी दुर्लभ नही रहता सब मिल जाता हैं
आगे भगवान सबरी जी के कुटियां जा कर उन्हें दर्शन देते हैं नवधा भक्ति का उपदेश करते हुये राम जी कहते है मेरे भक्ति के मार्ग पर जो चल रहे है जो मुझे अपना मान रहे है वह मुझ पर हमेशा यकीन करें उनके आवश्यकता का हम हमेशा ध्यान रखते हैं ।
आगे हनुमान जी से भगवान राम का मिलन होता है सुग्रीव से मित्रता होता है हनुमान जी सीता माँ का पता लगाते है लंका को जला कर वापिस राम जी के पास आ कर सीता जी का सारा हाल बताते हैं स्वामी राम शंकर डिजिटल बाबा ने कहा कि हनुमान जी की अपने ईष्ट राम जी की सेवा कार्य मे अत्यंत निष्ठा है जब तक सीता जी का पता नही लगाते तब तक हनुमान जी अपने लक्ष्य पर पूरी तरह केन्द्रतित रहते जीवन मे हमे भी सफल होना है तो सब तरफ से ध्यान हटा कर लक्ष्य पर खुद को केंद्रित रहना होगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रिंस पाण्डेय
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