ओम नमः शिवाय ने माघ मेला में सुविधाओं को लेने से किया इन्कार

ओम नमः शिवाय ने माघ मेला में सुविधाओं को लेने से किया इन्कार
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ओम नमः शिवाय ने माघ मेला में सुविधाओं को लेने से किया इन्कार


--कहा, कल्पवास व श्रद्धालुओं की सेवा करने आये हैं न कि जमीन सुविधाओं के लिए

--मेला प्रशासन केवल जमीन, बिजली व पानी दे : गुरुदेव

प्रयागराज, 25 दिसम्बर (हि.स.)। संगम की रेती पर विश्व प्रसिद्ध माघ मेला 14-15 जनवरी से शुरू होने जा रहा है। देश के कोने-कोने से संस्थाओं के लोग और संत-महात्मा पहुंचने लगे हैं। बड़ी संख्या में लोग मनमानी जमीन और सुविधाओं के लिए मेला प्रशासन के अफसरों का चक्कर लगा रहे हैं कि अधिक से अधिक जमीन और सुविधाएं मिल जाये। जबकि वहीं दूसरी ओर ओम नमः शिवाय ने मेला के दौरान कोई भी सुविधा लेने से साफ इन्कार कर दिया है।

ओम नमः शिवाय के गुरुदेव ने सोमवार को कहा कि मेला प्रशासन शिविर लगाने के लिए जमीन, पानी और बिजली उपलब्ध करा दें, उसके अतिरिक्त कोई सुविधा नहीं चाहिए। उन्होंने कहा कि ओम नमः शिवाय संस्था प्रयागराज करीब 50 वर्ष पुरानी है। संस्था की ओर से माघ मेला, अर्द्ध कुम्भ और महाकुम्भ के दौरान 50 वर्षों से मेला क्षेत्र में दो दर्जन स्थानों पर विशाल अन्नक्षेत्र दिन-रात चलता रहता है। इतना ही नहीं प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या और सीतापुर में भी वर्ष भर अन्नक्षेत्र चलता रहता है। जिसमें लाखों लोग परिवार सहित खाना खाते हैं।

गुरुदेव ने बताया कि ओम नमः शिवाय ने कोविड के पहले और दूसरे चरण में प्रयागराज, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या और सीतापुर में लाखों श्रमिकों, प्रतियोगी छात्रों सहित वहां रहने वाले लोगों को दिन, रात नाश्ता, खाना, बोतलबंद पानी और बच्चों को दूध उपलब्ध कराया था। उन्होंने कहा कि माघ मास में संगम की रेती पर लगने वाले मेले के दौरान दान किया जाता है, लिया नहीं जाता है। उन्होंने कहा कि माघ मेला और कुम्भ मेला को लोग व्यवसाय बना लिये हैं। इस बार से माघ मेला और कुम्भ मेला के दौरान संस्था मेला प्रशासन से टेण्ट, टीन घेरा सहित अन्य कोई सुविधा नहीं लेगी।

उन्होंने कहा मेला प्रशासन अन्न क्षेत्र चलाने के लिए पांच स्थानों पर पर्याप्त जमीन, पानी और बिजली मुहैया करा दे। माघ क्षेत्र में जिस तरह से लोग मेला प्रशासन द्वारा निःशुल्क मिलने वाली जमीन सहित अन्य सुविधाओं को कामर्शियल बनाते जा रहे हैं, इससे आस्था को ठेस पहुंच रही है और श्रद्धालुओं की आस्था प्रभावित हो रही है। इसको लेकर मेला प्रशासन के अफसरों को गम्भीर होना चाहिए जिससे लोगों की आस्था प्रभावित न होने पाये।

हिन्दुस्थान समाचार/विद्या कान्त/आकाश

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