आसमान से बरसती आग से उबल रहा उत्तर भारत

आसमान से बरसती आग से उबल रहा उत्तर भारत
WhatsApp Channel Join Now
आसमान से बरसती आग से उबल रहा उत्तर भारत


—ग्लोबल वार्मिंग ने बदला मौसम का पैटर्न; अब भी हम न समझे तो और बढ़ेगा प्रकृति का प्रकोप

कानपुर,30 मई (हि.स.)। आसमान से बरसती आग से कानपुर मंडल समेत उत्तर भारत उबल रहा है। कानपुर में सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए पारा 46.8 डिग्री जा पहुँचा । क्लाउड सीडिंग से लेकर तमाम मुद्दों पर बात करते हुए गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के मौसम वैज्ञानिक डॉ.एस.एन.सुनील पांडेय ने कही।

उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग ने मौसम का पैटर्न बदल दिया है। हमारी रोजमर्रा की आदतें, पराली जलाने, दुनिया में चल रहे युद्ध ,व्हीकल्स ,एयर कंडीशन ,ग्रीन हाउस गैसेस बढ़ना ,प्री मानसून की गतिविधियों का कम होना आदि ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन रहे हैं।

सबसे बड़ा कारण ग्लोबल वार्मिंग है। बीते कुछ सालों में प्रकृति के साथ किए गए छेड़छाड़ का नतीजा देखने को मिल रहा है। ग्रीन हाउसेज गैसों के बढ़ने से एक्सट्रीम वेदर कंडीशन (चरम मौसमी घटनाएँ)पूरी दुनिया में बढ़ते जा रहे हैं। पिछले सालो में हुई अत्यधिक बारिश हो या अब भीषण गर्मी, अत्यधिक सर्दी यह सब इसके ही नतीजे हैं। बारिश के दिन कम होना ,गर्म लहर के दिन ज्यादा होना ,तापमान में नये रिकॉर्ड बनना।

इस भीषण गर्मी से राहत कब मिलेगी?

जवाब : कानपुर मंडल में बारिश दो ही कारणों से होती है। पहला मानसून और दूसरा पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस)। मानसून आने में अभी एक महीने का समय है। पश्चिमी विक्षोभ की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती। सिर्फ मॉनिटर किया जा सकता है। अब मजबूत पश्चिमी विक्षोभ भी नहीं बन रहे ।

क्या क्लाउड सीडिंग और आर्टिफिशियल बारिश इसका हल हो सकता है?

जवाब : क्लाउड सीडिंग के लिए भी आसमान में बादल होने चाहिए। दुबई ने क्लाउड सीडिंग करके देखा और दुबई का जो हाल हुआ, वह सभी को मालूम है। क्लाउड सीडिंग एक महंगी तकनीक है। इसमें कई खतरे भी हैं। बारिश कितनी होगी और कहां तक होगी, इसका कोई अंदाजा नहीं लगा सकता। यह एक तरह से प्रकृति को चुनौती देने के बराबर है। अब लगातार कभी पश्चिमी विछोभ एवं बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आर्द्र हवाओं का आना रिलेटिव ह्यूमिडिटी का बढ़े हुए रहना जिसेसे हीट इंडेक्स का 55 के ऊपर रहना मानव शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव के साथ हीट स्ट्रोक और ऑर्गन फेल्योर जैसे समस्याओं का होना।

बड़े शहरों में कंक्रीट के जंगल (हीट आइलैंड ) का बनाना जैसे कारणों से तापमान का 10 से 11 बजे से ही 38/39 पर पहुँचना एवं

काम के घंटों का कम होना इन सभी का बढ़ा व्यापक असर हमारे दैनिक जीवन पर पढ़ रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राम बहादुर/बृजनंदन

हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्‍वाइन करने के लि‍ये  यहां क्‍लि‍क करें, साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लि‍ये  यहां क्लिक करें।

Share this story