हमीरपुर लोकसभा सीट पर 57 साल में लगातार तीन बार कोई भी नहीं बना सांसद

हमीरपुर लोकसभा सीट पर 57 साल में लगातार तीन बार कोई भी नहीं बना सांसद
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हमीरपुर लोकसभा सीट पर 57 साल में लगातार तीन बार कोई भी नहीं बना सांसद


हमीरपुर, 25 मई (हि.स.)। बुंदेलखंड की लोकसभा हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर गुजरे 57 साल में चौदह आम चुनाव हुए लेकिन कोई भी लगातार यहां की सीट पर हैट्रिक नहीं लगा सका। इस सीट पर अबकी बार भाजपा की हैट्रिक लगाने वाले सिटिंग एमपी चुनाव मैदान में हैं, जो 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग होने पर कांग्रेस के रेकार्ड को तोड़ सकते हैं।

हमीरपुर-महोबा-तिंदवारी लोकसभा की सीट पर सत्तावन सालों में चौदह आम चुनाव हुए लेकिन यहां के दो नेताओं को यहां की सीट पर हैट्रिक लगाने में पसीने छूट गए थे। वर्ष 1952 में पहले लोकसभा के चुनाव में एमएल द्विवेदी ऐसे नेता थे जिन्होंने कांग्रेस की लहर में पहली मर्तबा सांसद बने थे। उन्हें 32.7 फीसदी मत मिले थे। इनकी ईमानदारी और सरल स्वाभाव पर संसदीय क्षेत्र की जनता ने लगातार तीन बार भरोसा किया था। ये 1962 तक लगातार तीन बार यहां की सीट से सांसद रहे। हालांकि 1957 में उन्हें सिर्फ 28.6 फीसदी मत मिले थे, जबकि तीसरी बार उन्होंने 47.99 फीसदी वोट हासिल किया था।

संसदीय क्षेत्र के बुजुर्ग समाजसेवी बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी के मुताबिक एमएल द्विवेदी 1967 के लोकसभा चुनाव में चौथी बार चुनाव मैदान में आए थे। वह इस सीट पर चौथी बार विजय रथ दौड़ाकर रेकार्ड बनाना चाहते थे, लेकिन अटल बिहारी बाजपेई की जनसंघ पार्टी के स्वामी ब्रह्मानंद महाराज ने उन्हें बुरी तरह से पराजित कर दिया था। उन्हें 31 फीसदी तक वोट मिले थे,जबकि जनसंघ पार्टी के प्रत्याशी रहे स्वामी ब्रह्मांनद महाराज को सर्वाधिक 54 फीसदी से ज्यादा मत मिले थे। चौथी बार संसदीय क्षेत्र की सीट पर चुनाव हारने के बाद एमएल द्विवेदी जैसे दिग्गज नेता ने राजनीति से सन्यास ही ले लिया था।

57 साल में हुए सत्रह आम चुनाव में लगातार दो बार सांसद बने थे ब्रह्मानंद

हमीरपुर-महोबा संसदीय सीट पर दो नेता लगातार दो बार सांसद तो बने लेकिन ये दोनों लगातार तीसरी बार सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सके। स्वामी ब्रह्मनंद महाराज 1967 में पहली बार जनसंघ के टिकट से लोकसभा चुनाव में 54 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर सांसद बने थे। ये 1971 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सांसद बने थे लेकिन 1977 के आम चुनाव में स्वामी ब्रह्मनंद यहां की सीट पर हैट्रिक नहीं लगा पाए थे। इसके बाद इन्होंने भी राजनीति से किनारा कर लिया था। इसी तरह से गंगाचरण राजपूत 1996 के आम चुनाव में सांसद बने थे। ये 1998 में भी लगातार दूसरी बार सांसद बने थे लेकिन 1999 के चुनाव में गंगाचरण यहां की सीट पर हैट्रिक नहीं लगा पाए थे। हालांकि ये तीन बार सांसद बने थे।

पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल भी लगातार दो बार खिला चुके हैं कमल

बुंदेलखंड की लोकसभा-47 की सीट पर पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी की लहर में पहली बार सांसद बने थे। इन्होंने पूर्व मंत्री विशम्भर प्रसाद निषाद को 266778 मतों के अंतर से पराजित कर यहां की सीट पर कमल खिलाया था। उन्हें कुल मतों में 47.045 फीसदी मत मिले थे। पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल ने 2019 के आम चुनाव में भी गठबंधन के बसपा प्रत्याशी दिलीप सिंह को 248652 मतों के अंतर से पराजित किया था। पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल 52.77 फीसदी वोट लेकर लगातार दूसरी बार सांसद बने थे। ये यहां की सीट पर हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में गठबंधन के सपा प्रत्याशी अजेन्द्र सिंह राजपूत को कड़ी टक्कर दी है। ये यहां की सीट पर हैट्रिक लगाकर अबकी बार 57 साल के रेकार्ड तोड़ सकते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार/पंकज/राजेश

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